Waqf Bill: JPC की बैठक खत्म, दारुल उलूम देवबंद ने वक्फ एक्ट में बदलाव का किया विरोध, मौलाना अरशद मदनी ने कही ये बात
Waqf Amendment Bill 2024: वक्फ बिल में संशोधन को लेकर बनी जेपीसी की आज बैठक हुई. जेपीसी के कार्यकाल विस्तार के बाद यह पहली बैठक थी. इस बैठक में दारुल उलूम देवबंद की तरफ से भी एक प्रतिनिधिमंडल ने भी हिस्सा लिया और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में अपनी बात रखी और कमेटी को लिखित में सुझाव भी दिए.
Waqf Amendment Bill 2024: वक्फ बिल में संशोधन को लेकर बनी जेपीसी की आज बैठक हुई. इस बैठक में दारुल उलूम देवबंद की तरफ से भी एक प्रतिनिधिमंडल ने भी हिस्सा लिया और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में अपनी बात रखी. देवबंद के प्रतिनिधिमंडल की तरफ से मीटिंग में मौलाना अरशद मदनी और मुफ्ती अबुल कासिम ने अपनी राय रखी. दोनों विद्वानों ने संसदीय पैनल के साथ बैठक के दौरान मौजूदा वक्फ कानून में प्रस्तावित बदलावों का जमकर विरोध किया. भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ( Jagdambika Pal) की अगुआई में वक्फ बिल पर संयुक्त समिति ( JPC ) के सामने पेश हुए दारुल उलूम देवबंद के प्रिंसिपल मौलाना अरशद मदनी ( Maulana Arshad Madani ) ने मौजूदा कानून को सही तरीके से लागू करने के लिए भी जोरदार वकालत की.
मौलाना मदनी ने कमेटी से कहा कि किसी कानून को महज इस बहाने से नहीं बदला जाना चाहिए कि इसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है. सूत्रों ने बाताया कि मदरसा प्रमुख ने सभी धार्मिक संस्थानों के शासन और प्रशासनिक मामलों में समानता का समर्थन किया. सूत्रों ने बताया कि मदनी ने कहा कि प्रस्तावित अमेंडमेंट बिल में मौजूदा कानून की धारा 40, 104, 107, 108 और 108ए को शामिल न करना वक्फ के हित के खिलाफ है.
मौलाना मदनी और मुफ्ती कासिम ने लिखित में JPC को दिए सुझाव
वहीं, JPC अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कार्यकाल विस्तार में पहली बैठक के बाद कहा, "दारुल उलूम देवबंद 150 साल पुराना है. वहां से देश ही नहीं पूरी दुनिया में इस्लामिक विद्वान निकले रहे हैं. आज उनके (प्रिंसिपल) मौलाना अरशद मदनी और कुलपति (मौलानी मुफ्ती अबुल कासिम) नोमानी आए थे. प्रस्तावित बिल पर हमने उनकी राय ली है." सांसद जगदंबिका पाल ने बताया कि दोनों विद्वानों ने लिखित में भी अपने सुझाव दिए हैं और जेपीसी के मेंबरों के वक्फ के बारे में समझाया भी है.
दिल्ली में सबसे ज्यादा 100 वक्फ की प्रोपर्टी
बैठक से पहले जेपीसी अध्यक्ष ने कहा था कि कमेटी ज्यादा से ज्यादा हितधारकों के साथ बातचीत करेगी. हम उन राज्यों को भी बुलाएंगे जहां वक्फ और राज्य सरकार के बीच विवाद है. सच्चर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट के चैप्टर 11 के पेज नंबर 221-222 पर जिक्र किया था कि दिल्ली में 100 से ज्यादा वक्फ प्रोपर्टी, यूपी में 60 और राजस्थान में 45 वक्फ संपत्तियां हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश और ओडिशा में भी वक्फ की प्रोपर्टी हैं.
उन्होंने कहा कि उन छह राज्यों के चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भी बुलाया जाएगा और उन राज्यों को यह साफ करना होगा कि क्या ये संपत्तियां राज्य सरकार की हैं या वक्फ की? हम रिपोर्ट में इसे शामिल करने के लिए यह जानकारी इकट्ठा करना चाहते हैं.
JPC कब करेगी संसद रिपोर्ट पेश?
जगदंबिका पाल ने कहा कि जेपीसी उन राज्यों को भी बुलाएगी, जो सच्चर कमेटी ने उल्लेख किया है. उन्होंने कहा कि साथ ही दिल्ली की 123 संपत्तियों पर भी चर्चा की जाएगी. इसके अलावा, हम कोलकाता, पटना और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों में भी जाएंगे, जहां हम उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों के वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग और राज्य सरकार के अधिकारियों से और अन्य हितधारकों से बात करेंगे. फिर संसद के बजट सत्र में हम अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे.