यूपी में NHRC की जांच से टीचर्स में टेंशन; योगी सरकार में निशाने पर अब सरकारी मदरसे!
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यूपी में NHRC की जांच से टीचर्स में टेंशन; योगी सरकार में निशाने पर अब सरकारी मदरसे!

UP Madarsa Controversy: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सरकार से फंड पाने वाले सभी मदरसों में टीचर्स के पदों पर अपॉइंटमेंट पर रोक लगा दिया है. सरकार के जरिये लगातार मदरसों पर की जा रही है कार्रवाई पर ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदरसा अरबिया समेत अन्य संगठनों ने नारजागी जताई है.

 

फाइल फोटो
फाइल फोटो

UP Madarsa News: उत्तर प्रदेश के अरबी और फारसी मदरसे लगातार जांच के घेरे में हैं. यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की दखल से जुड़ा है. आयोग के निर्देश पर राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) इन मदरसों की जांच कर रही है. प्रदेश के मदरसा संगठनों ने योगी सरकार पर दोहरा और पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने के आरोप लगाए हैं.

दरअसल, बाराबंकी जिले के जैदपुर कस्बे के रहने वाले तल्हा अंसारी ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदेश के 588 मदरसों में अयोग्य शिक्षकों की नियुक्तियां की गई हैं. इन शिक्षकों के पास जरूरी योग्यता भी नहीं है. इसके अलावा इन मदरसों में बुनियादी सुविधाएं जैसे बिल्डिंग, फर्नीचर, हॉस्टल वगैर भी नहीं हैं, फिर भी सरकार इन्हें फंड दे रही है.

आयोग ने क्या किया?

इस पर मानवाधिकार आयोग ने बीते साल फरवरी 2024 में आर्थिक अपराध शाखा को शिकायत की जांच करके एक महीने में रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन अप्रैल तक रिपोर्ट नहीं आने पर आयोग ने नाराजगी जताई और फिर से रिमाइंडर भेजते हुए एक महीने में रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है. आयोग ने यह भी कहा है कि अगर तय समय में रिपोर्ट नहीं आई, तो मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 2013 के तहत कार्रवाई की जा सकती है.

मदरसा बोर्ड की कार्रवाई

इस बीच उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार आर. पी. सिंह ने सभी अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजकर सरकारी मदद पाने वाले मदरसों की स्थिति की जानकारी मांगी है. इसमें मदरसे में छात्रों की संख्या, टीचर्स का अपॉइंटमेंट, बिल्डिंग, लाइब्रेरी और फर्नीचर जैसी सुविधाओं का जानकारी मांगी गई है. रजिस्ट्रार मदरसा बोर्ड ने अपने सर्कुलर में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश का हवाला देते हुए ये सभी जरुरी जानकारी मांगी है.

इस मामले में ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदरसा अरबिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना तारिक कासमी ने कहा कि साल 2017 से ही मदरसों को बार-बार, अलग-अलग जांच के नाम पर लगातार परेशान किया जा रहा है. उन्हें हर महीने कोई न कोई नया सर्कुलर या नोटिस आ जाता है. मौलाना तारिक कासमी ने कहा कि इससे मदरसों के प्रबंधक और शिक्षक मानसिक रूप से परेशान हैं और आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं. वे हर दिन अपनी नौकरी को लेकर डरे रहते हैं.

'प्रियांक कानूनगो के निशाने पर हैं मदरसे'

वहीं संगठन के महासचिव वहीदुल्लाह खान सईदी ने आरोप लगाया कि महज सियासी वजहों से सिर्फ मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है. राजनीतिक कारणों से सिर्फ मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रियांक कानूनगो जहां कहीं भी रहे हैं, उनके निशाने पर मदरसे ही रहे हैं. 

वहीदुल्लाह खान सईदी ने कहा कि जब प्रियांक कानूनगो नेशनल कमीश फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के चेयरमैन थे, तब भी उनकी हर जांच का दायरा मदरसों तक ही सीमित रहता था और अब वह मानव अधिकार आयोग के मेंबर है तो वहां भी उनके निशाने पर मदरसे हैं. मदरसा संगठनों का कहना है कि सरकार की कार्रवाई एकतरफा और पक्षपातपूर्ण है, जिससे शिक्षा और अल्पसंख्यक समुदाय की स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है.

मदरसों में अपॉइंटमेंट पर रोक

इससे पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य से फंड पाने वाले मदरसों में टीचर्स के अपॉइंटमेंट पर रोक लगा दी है. सरकार के जरिये जारी आदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई बैठक का हवाला दिया गया है. इसमें कहा गया है कि जब तक टीचर्स की अहलियत का दोबारा फैसला नहीं होता है, तब तक उनका अपॉइंटमेंट नहीं किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त सचिव दया शंकर ओझा के जरिये जारी किए गए शासनादेश (जीओ) में मदरसों में टीचर्स के नए अपॉइंटमेंट से जुड़ी प्रक्रिया को रोकने के निर्देश दिए गए हैं. इसमें बीते माह 25 अप्रैल 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों का भी जिक्र किया गया है.

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