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जमीन से आसमान तक...कश्मीर का वो नगीना, जो बने राफेल के पहले पायलट; कहानी हिलाल अहमद की

IAF Air Vice Marshal Hilal Ahmed Rather: इंडियन एयर फोर्स डे 2025 पर एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद राठर चर्चा में रहे. अनंतनाग के रहने वाले हिलाल राफेल उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलट हैं. उन्होंने 3,000 घंटे से अधिक एक्सीडेंट-फ्री उड़ान भरी है और 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अहम योगदान दिया.

 

एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद राठर (फाइल फोटो)
एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद राठर (फाइल फोटो)

India First Rafale Pilot Hilal Ahmed: इंडियन एयर फोर्स (IAF) आज 8 अक्टूबर 2025 को 93 साल का हो गया. एयर फोर्स का गठन 8 अक्टूबर 1932 को हुआ था. स्थापना की तारीख को 'एयर फोर्स डे' के रुप में मनाया जाता है. इस दिन एयर फोर्स के शौर्य, समर्पण और देश की रक्षा में योगदान को सम्मानित करने के लिए उत्सव के रूप में मनाया जाता है. एयर फोर्स में देश के सभी धर्म, समुदाय और जातियों के लोग तन-मन से सेवाएं दे रहे हैं और सरहद को सुरक्षित बनाते हैं.

स्थापना दिवस पर इंडियन एयर फोर्स हिंडन एयर बेस में कई बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. राफेल,  तेजस, सुखोई-30, मिग-21 और दूसरे आधुनिक हेलीकॉप्टर के साथ प्रदर्शन करती है. एयर फोर्स में राफेल को भारत का सबसे आधुनिक और खतरनाक लड़ाकू विमान माना जाता है. एयर फोर्स ने साल 2020 को इसे अपने बड़े में शामिल किया था. 

हिलाल अहमद बने पहले राफेल पॉयलट

आवाज की रफ्तार से भी तेज उड़ने वाला राफेल आधुनिक हथियारों से लैस है. राफेल से पहली उड़ान एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद राठर ने भरी थी. वह भी ऐसे समय जब इंडियन एयर फोर्स के पास मौजूद ज्यादातर लड़ाकू विमान काफी पुराने हो गए थे और तकनीकी लिहाज से भी काफी पीछे थे. उस समय हिलाल अहमद ने राफेल को उड़ाकर एयर फोर्स की शौर्य, पराक्रम की मिसाल पेश की. 

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जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले से ताल्लुक रखने वाले एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद राठर का शुमार इंडिय एयर फोर्स बेहद सम्मानित अधिकारियों में होती है. हिलाल अहमद राठर ने वैसे कई महत्वपूर्ण मौके पर अपनी बहादुरी और राष्ट्रभक्ति की मिसाल पेश की है, लेकिन 2020 में इंडियन एयर फोर्स में राफेल लड़ाकू विमानों के शामिल होने के दौरान इसे उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलट बनने का गौरव हासिल किया था.

हिलाल अहमद एक कश्मीरी मुस्लिम हैं और सोशल मीडिया पर अक्सर उन्हें कश्मीर की शान और राष्ट्रसेवा की मिसाल के रूप में याद किया जाता है. हिलाल अहमद का जन्म एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था. देश सेवा का जज्बा उन्हें विरासत में मिली है. उनके पिता मुहम्मद अब्दुल्ला राठर 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में इंडियन आर्मी की तरफ से जंग में शामिल हुए थे. बाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस में डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) के पद से रिटायर हुए. हिलाल पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे और परिवार में इकलौते बेटे हैं.

3,000 घंटे भर चुके हैं एक्सीडेंट फ्री उड़ान

हिलाल अहमद को 17 दिसंबर 1988 को इंडियन एयर फोर्स की फ्लाइंग ब्रांच में पायलट ऑफिसर के रूप में कमीशन मिला. हैदराबाद के एयर फोर्स अकादमी डुंडीगल से ट्रेनिंग के दौरान उन्हें 'Best All-Round Pilot' चुना गया और राष्ट्रपति की ओर से President’s Plaque और Sword of Honour से भी सम्मानित किया गया.

हिलाल अहमद ने 1988 में कमीशन मिलने के बाद अपनी बहादुरी, कार्यकुशला औ देश सेवा के बलबूते पर लगातार तरक्की की नई ऊंचाईयों को छुआ है. उन्होंने 1989 में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में शुरुआत की और 1993 में फ्लाइट लेफ्टिनेंट बने. इसके बाद 1999 में उन्हें स्क्वाड्रन लीडर बनाया गया. साल 2004 में वे विंग कमांडर बने और 2010 में ग्रुप कैप्टन के पद पर पहुंचे. 2019 में उन्हें एयर कमोडोर का दर्जा मिला और अब 2025 में वह एयर वाइस मार्शल के पद तक पहुंच गए.

वर्तमान में एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद राठर को इंडियन एयर फोर्स का गौरव कहा जाता है. हिलाल अहमद के पास 3,000 घंटे से ज्यादा एक्सीडेंट फ्री उड़ान भर चुके हैं. उन्होंने मिराज-2000, मिग-21 और किरण जैसे अग्रिम मोर्चे के विमानों को उड़ाया है. वह एक काबिल फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और फाइटर कॉम्बैट लीडर भी हैं.

राफेल डील और भूमिका

साल 2016 से हिलाल अहमद को फ्रांस में भारत का एयर अटैशे नियुक्त किया गया था. इंडियन एयर फोर्स की यह पोस्टिंग दुनिया भर में सिर्फ चार जगहों पर होती है. फ्रांस में तैनाती के दौरान उन्होंने 59,000 करोड़ रुपये की राफेल डील में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने भारत के हिसाब से विमानों को हथियारों और तकनीक से लैस करवाने की निगरानी की और उनकी डिलीवरी सुनिश्चित की.

27 जुलाई 2020 को एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद ने खुद राफेल उड़ाकर फ्रांस के बोर्दो-मेरिग्नाक स्थित दसॉल्ट एविएशन के प्लांट से भारत तक विमान लेकर पहुंचे. यही वह दिन था, जब वे राफेल उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलट बने. राफेल के बेडे़ में शामिल होने के बाद इंडियन एयर फोर्स की ताकत में ऐतिहासिक इजाफा हुआ.

वीरता के लिए मिल चुका है खास सम्मान

हिलाल अहमद ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (DSSC), वेलिंगटन और एयर वॉर कॉलेज, अमेरिका से डिस्टिंक्शन के साथ ग्रेजुएशन किया है. उन्हें उनकी वीरता और उत्कृष्ट सेवा के लिए वायु सेना पदक (VM) और विशिष्ट सेवा पदक (VSM) से सम्मानित किया जा चुका है. वर्तमान में हिलाल अहमद पूरे देश के नौजवानों के लिए एक आइडल बनकर उभरे हैं. 

'ऑपरेशन सिंदूर' में रहा खास योगदान

साल 2025 में एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद राठर को इंडियन एयर फोर्स की एक अहम कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' में खास भूमिका अद करने के लिए सुर्खियों में रहे. यह ऑपरेशन पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के ठिकानों पर सटीक हमलों के लिए चलाया गया था. इस दौरान राफेल तकनीक का इस्तेमाल कर आतंकी नेटवर्क को करारा झटका दिया गया.

कश्मीर जैसे जंग और आतंक से प्रभावित इलाका होने के बावजूद हिलाल अहमद का करियर पूरी तरह राष्ट्रसेवा और समर्पण की मिसाल पेश करता है. उनकी कहानी सिर्फ इंडियन एयर फोर्स की ताकत ही नहीं दिखाती बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव, देशभक्ति और कश्मीर के गौरव का प्रतीक भी बन चुकी है, जो नौजवानों के लिए एक मिसाल है.

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Raihan Shahid

रैहान शाहिद का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले से हैं. वह पिछले पांच सालों से दिल्ली में सक्रिय रूप से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हैं. Zee न्यूज़ से पहले उन्होंने ABP न्यूज़ और दू...और पढ़ें

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