Veer Savarkar Urdu Book Written by JMI VC: नई दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय में वीर सावरकर पर आधारित पहली उर्दू किताब 'वीर सावरकर और तकसीम-ए-हिन्द का अलमिया' का भव्य विमोचन हुआ. इसका अनुवाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने किया है. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद रहे.
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New Delhi News Today: आजाद भारत के इतिहास में पहली बार वीर सावरकर के विचारों को उर्दू जुबान के माध्यम से अवाम तक पहुंचाने की पहल की गई है. गुरुवार (10 अक्टूबर) को नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय में आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद (NCPUL) की ओर से यह आयोजन हुआ.
इस मौके पर मशहूर लेखक, पत्रकार और केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहूरकर और चिराय पंडित के जरिये लिखी गई अंग्रेजी किताब 'Veer Savarkar: The Man Who Could Have Prevented Partition' के उर्दू अनुवाद का भव्य विमोचन किया. जिसको उर्दू में 'वीर सावरकर और तकसीम-ए-हिन्द का अलमिया' नाम से लॉन्च किया गया है.
इस समारोह में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और देश की सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में से एक जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर मजहर आसिफ मौजूद रहे. इस किताब का उर्दू में ट्रांसलेशन भी डॉ. मजहर आसिफ ने ही किया है.
इस किताब को लेकर प्रो. मजहर आसिफ ने कहा, "विनायक दामोदर सावरकर स्वाधीनता आंदोलन का वह नाम हैं, जिनका जिक्र होते ही आज भी बौद्धिक जगत में तीखी बहस छिड़ जाती है. सावरकर की मौत को सात दशक से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन आज भी कुछ लोग उनके नाम को बदनाम कर सियासी फायदा हासिल करने की कोशिश करते दिख जाते हैं." उन्होंने आगे कहा, "कुछ तथाकथित सहिष्णु लेखक आज भी उनकी शख्सियत को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं, ताकि मंच पर अपनी जगह बना सकें. लेकिन इन सबके बावजूद वीर सावरकर के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विचारधारा आज कौमी सियासत के शीर्ष पर स्थापित हो चुकी है."
'वीर सावरकर और तकसीम-ए-हिन्द का अलमिया' किताब को लेकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ओबैदु ओला ने वाइसचांसल डॉक्टर मजहर आसिफ को मुबारकबाद पेश की है. डॉ. ओबैदु ओला ने भी वीर सावरकर के योगदान पर विस्तार से बात की. उन्होंने कहा, "सावरकर सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति के सिपाही नहीं थे बल्कि वे उस क्रांतिकारी धारा के सृजक थे, जिन्होंने मदनलाल ढींगरा जैसे शहीदों को मार्ग दिखाया और भगत सिंह जैसे वीरों को प्रेरणा दी. डॉ. मजहर आसिफ ने इस किताब के जरिये सावरकर के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने का काम किया है."
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ओबैदु ओला ने आगे कहा, "सावरक सिर्फ आजादी के लिए नहीं बल्कि हिन्दू समाज के भीतर मौजूद असमानताओं को खत्म करने के लिए भी बड़ा काम किया, जिसे इतिहास में नजरअंदाज कर दिया गया." उन्होंने कहा, "जैसे विंस्टन चर्चिल ने गांधीजी के बारे में कहा था कि ‘गांधी संत के वेश में एक राजनीतिज्ञ थे’, वैसे ही अगर सावरकर के समाज सुधार के कामों का आंकलन किया जाए तो कहना पड़ेगा 'सावरकर क्रांतिकारी के वेश में एक सुधारक थे."
कार्यक्रम के दौरान सावरकर की वैचारिक यात्रा, राष्ट्रवाद, समाज सुधार और आजादी के संघर्ष में उनकी भूमिका पर भी चर्चा हुई. कार्यक्रम में उपस्थित बुद्धिजीवियों और विद्वानों ने कहा कि इस किताब के जरिए उर्दू भाषी समाज सावरकर के विचारों को और गहराई से समझ सकेगा. यह विमोचन समारोह सिर्फ सावरकर के विचारों को नई भाषा में समर्पित करने का प्रतीक बना बल्कि यह भी दिखा गया कि आज भी सावरकर के विचार भारतीय समाज और सियासत में प्रासंगिक हैं.
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