Maulana Arshad Madani on Taliban: मौलाना अरशद मदनी ने जानकारी दी है कि आखिर तालिबान और दारुल उलूम देवबंद का क्या रिश्ता है. उन्होंने बताया कि विदेश मंत्री मुत्तकी अपनी मादरे इल्मी को देखने आए हैं.
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Maulana Arshad Madani on Taliban: आज अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर मुत्तकी दारुल उलूम, देवबंद शिरकत कर रहे हैं. इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के चीफ मौलाना अरशद मदनी का बयान आया है. उन्होंने बताया है कि तालिबान के साथ दारुल उलूम देवबंद का क्या रिश्ता है.
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 1915 के अंदर दारुल उलूम के सदर शेखुल हिंद ने अपने शागिर्द को, जो दारुल उलूम से फाज़िल थे उन्हें अफगानिस्तान भेजा था. ताकि एक निर्वासिक सरकार बनाई जा सके. वह वहां जाकर हुकूमत में मौजूद काज़ी अब्दुल रज्जाक से मिले जो दारुल उलूम से पढ़े हुए थे. उन्होंने उनकी मुलाकात अमीर हबीबुल्लाह से मिलवाया. इसके बाद जाकर देश की पहली निर्वासित सरकार बनी.
बता दें, निर्वासित सरकार वह सरकार होती है, जो देश के बार रहकर देश पर शासन करने का दावा करती है. मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली पहली निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री थी और इस सरकार का गठन 1 दिसंबर 1915 में हुआ था. राजा महेंद्र प्रताप सिंह उस समय के राष्ट्रपति बने थे.
#WATCH | Saharanpur, Uttar Pradesh: On Afghanistan Foreign Minister Amir Khan Muttaqi's visit to Darul Uloom Deoband in Saharanpur today, President of the Jamiat Ulama-i-Hind, Maulana Arshad Madani, says, "...We have a scholarly and educational connection with Afghanistan... He… pic.twitter.com/Vysd7TVaG3
— ANI (@ANI) October 11, 2025
मौलाना अरशद मदनी आगे कहते हैं कि तालिबान से हमारा ताल्लुक इल्मी और तालीमी भी है, इसके साथ-साथ आज़ादी की जंग के लिए जो हमारा किरदार था, उससे उन्होंने फायदा उठाया. जिस तरह हमारे लोगों ने ब्रिटेन सरकार को हराया है. ठीक उसी तरह तालिबान ने रूस और अमेरिका को धूल चटाने का काम किया है. यही वजह है वह आज देवबंद में आ रहे हैं.
इंतेजाम के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने कोई इंतेजाम नहीं किए हैं. वह अपने मादरे इल्मी को देखने आए हैं और वह अपने पुर्खों की उस जगह को देखने आए हैं, जहां से उन्होंने तालीम हासिल की. वह हदीस के सबक में बैठेंगे और फिर हमारे असातजा से बात करेंगे.