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पूरी दुनिया इजराइल के खिलाफ लेकिन मौलाना रजवी ने दी क्लीनचिट; बोले, "ग़ज़ा नरसंहार के लिए हमास जिम्मेदार!"

Maulana Shahabuddin Barelvi on Israel Hamas War: इजराइल-हमास जंग के दो साल पूरे होने पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बड़ा बयान दिया है. शहाबुद्दीन बरेलवी ने हमास को ग़ज़ा नरसंहार का जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी सोच ने फिलिस्तीन की अवाम को अमन, सुरक्षा और सम्मान के बजाय खून-खराबा और तबाही दी है.

 

मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी
मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी

Israel Hamas War 2 Years: फिलिस्तीन की आजादी के लिए सालों से संघर्षरत हमास ने आज ही के दिन 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर धावा बोल दिया था. हमास का यह हमला पूरे फिलिस्तीन जबरन कब्ज और बेगुनाहों लोगों की हत्या के विरोध में था. इसके बाद इजराइल के जरिये चोरी छिपे की जा रही है फिलिस्तीनियों की हत्या खुलेआम होने लगी. बीते दो सालों के अंदर ग़ज़ा में 67 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि 70 फीसदी से ज्यादा बुनियादी ढांचा तहस नहस हो गया. 

दुनिया भर में भारी विरोध और इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ युद्ध अपराधी ठहराने और गिरफ्तारी वारंट जारी के करने के बावजूद ग़ज़ा में नरसंहार जारी है. इस जंग के दो साल मुकम्मल होने पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. इसको संबोधित करते हुए मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने कहा कि फिलीस्तीन के शहर ग़ज़ा में इजराइल के जरिये लगातार की जा रही बमबारी से हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं, पूरा शहर खंडहर बन चुका है. जिसकी तस्वीरों को दुनिया देख रही है और इजराइल को यह सब करने का मौका दे रही है.

'हमास, ग़ज़ा नरसंहार के लिए जिम्मेदार'

मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने इस जंग के लिए फिलिस्तीन की आजादी के लिए लड़ रहे हमास को जिम्मेदार ठहराया. मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि अगर कट्टरपंथी हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल के लोगों को बंधक नहीं बनाता तो यह दिन देखने को नहीं मिलता. मौलाना शहाबुद्दीन ने दावा किया कि 7 अक्टूबर की कार्रवाई ने न सिर्फ इजराइल-फिलिस्तीन जंग को और भड़काया बल्कि लंबे समय से चल रही शांति प्रक्रिया को पूरी तरह पटरी से उतार दिया. जहां एक ओर कूटनीतिक प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के जरिये फिलिस्तीन के लिए न्यायसंगत समाधान की दिशा में कुछ उम्मीदें बन रही थीं, जिसे हमास के गलत फैसले ने पूरी प्रक्रिया को नाकाम कर दिया.

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अक्सर अपने बेतुके बयानों से सुर्खियों में रहने वाले मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने कहा, "हमास की इस कार्रवाई ने इजराइल को सैन्य कार्रवाई का बहाना मिल गया, जिससे दोनों पक्षों के बीच हिंसा और अविश्वास की खाई और गहरी हो गई. नतीजतन, जो राजनीतिक समाधान संवाद और कूटनीति से निकल सकता था, वह अब खून-खराबे और प्रतिशोध के चक्र में फंस गया है.

मौलाना ने कहा कि दूसरी ओर हमास की नीतियां और रणनीतियां ग़ज़ा के बेगुनाह नागरिकों, खास तौर पर बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों के लिए तबाही का सबब बन गई. संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट के मुताबिक, ग़ज़ा में अब तक हजारों बच्चे और महिलाएं इस हिंसा की भेंट चढ़ चुकी हैं. शहाबुद्दीन बरेलवी ने कहा, "यह त्रासदी स्पष्ट करती है कि हमास की कटृरपंथी सियासत ने फिलिस्तीनी जनता को सुरक्षा, सम्मान और अमन के बजाय सिर्फ दर्द, विस्थापन और विनाश दिया है. सच्चा नेतृत्व वह है जो अपनी जनता को बचाए, न कि उन्हें जंग की आग में झोंक दे."

'इस्लाम में बेगुनाह के हत्या की नहीं है कोई जगह' 

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा, "इस्लाम में आतंकवाद, हिंसा और बेगुनाहों की हत्या के लिए कोई स्थान नहीं है. बेगुनाहों की हत्या और अराजकता फैलाना इस्लामी शरीयत में किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता." उन्होंने कहा, "कुरआन कहता है कि जिसने एक बेगुनाह की हत्या की, उसने पूरी इंसानियत की हत्या की. (कुरआन 5:32)"

यासिर अराफात को लेकर क्या कहा?

शहाबुद्दीन बरेलवी ने कहा, "कटृरपंथी संगठन इस्लाम की नहीं बल्कि एक कट्टर और सियासी सोच की नुमाइंदगी करता है. यह सोच सूफी रिवायत की मोहब्बत और अमन से कोसों दूर है." उन्होंने कहा, "फिलिस्तीन के मुद्दे का असली हल शांति, संवाद और सियासी कूटनीति के जरिये ही मुमकिन है. यासिर अराफात ने फिलिस्तीन की आजादी और सम्मान के लिए जंग करते हुए हमेशा अमन और बातचीत को तरजीह दी थी. उन्होंने बार-बार यह कहा कि अमन ही फिलिस्तीन का असली रास्ता है." 

फिलिस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति का जिक्र करते हुए मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने आगे कहा, "उनका (यासिर अराफात) नजरिया आज भी यह याद दिलाता है कि असली नेता वही होता है जो अपनी अवाम को हिंसा से दूर रखे और उन्हें स्थिरता, सुरक्षा और उम्मीद की दिशा में ले जाए." उन्होंने कहा, "जमात का मानना है कि फिलिस्तीन का भविष्य हथियारों में नहीं बल्कि हिकमत, मोहब्बत और मुतालिबे-इंसाफ में है. ठीक उसी राह पर, जिस पर यासिर अराफात और फिलिस्तीनी अथॉरिटी ने दुनिया के सामने मिसाल पेश की थी.

'भारत ने हमेशा की फिलिस्तीन की मदद'

केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए मौलान शहाबुद्दीन बरेलवी ने कहा, "भारत और फिलीस्तीन के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं, जब से ग़ज़ा में इजराइल से जंग शुरू हुई, तो मानवीय आधार पर सबसे पहले भारत सरकार ने राहत सामग्री ग़ज़ा के लिए भेजी है." उन्होंने कहा, "भारत सरकार ने हमेशा फिलीस्तीनी रियासत को तस्लीम किया है और भारत लगातार फिलीस्तीन की आर्थिक मदद भी करता रहा है."

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