Nobel Prize Controversy: वेनेजुएला की अपोजीशन लीडर मारिया कोरीना माचाडो को नोबेल प्राइज मिलने का विरोध हो रहा है. कई मुस्लिम संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. पूरी खबर पढ़ने के लिए स्क्रॉल करें.
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Nobel Prize Controversy: वेनेजुएला की अपोजीशन लीडर मारिया कोरीना माचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार 2025 से सम्मानित किए जाने के बाद बधाइयों के साथ-साथ विवादों का तूफान भी खड़ा हो गया है. जहां कई संगठनों ने इस फैसले का विरोध करते हुए पुरस्कार वापस लेने की मांग की है, वहीं काफी लोग इस प्राइज का समर्थन भी करते नजर आ रहे हैं. वेनेजुएला के अंदर भी इस फैसले की जबरदस्त आलोचना हो रही है.
नोबेल कमेटी ने माचाडो को यह पुरस्कार अपने देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए अहिंसक संघर्ष करने के कारण दिया है. हालांकि, वामपंथी विचारक और उनके राजनीतिक विरोधी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.
काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (CAIR), जो अमेरिका का एक मुस्लिम नागरिक अधिकार संगठन है, ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई है. संगठन ने कहा कि नोबेल समिति को यह पुरस्कार वापस लेना चाहिए. CAIR ने आरोप लगाया कि माचाडो इज़रायल की एंटी-मुस्लिम नीतियों का समर्थन करती हैं और मुसलमानों के उत्पीड़न का समर्थन करती हैं.
वहीं कई दूसरे मुस्लिम संगठनों का कहना है कि ऐसे किसी इंसान को नोबेल प्राइज कैसे दिया जा सकता है, जो नरसंहार की कार्रवाई का समर्थन करता हो. उधर वेनेजुएला में इस नोबेल प्राइज का भारी विरोध हो रहा है. सत्ताधारी पार्टी के एक सदस्य ने कहा कि माचाडो को नोबेल पुरस्कार देना शर्मनाक है, क्योंकि उन्होंने विदेशी ताकतों की मदद से देश में अस्थिरता का माहौल बनाया है.
वेनेजुएला के पूर्व उपराष्ट्रपति पाब्लो इग्लेसियस ने भी इस फैसले की आलोचना की. उन्होंने कहा कि माचाडो देश में तख्तापलट की कोशिश कर रही हैं और हिटलर की विचारधारा का समर्थन करती है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "अगर माचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार मिल सकता है, तो शायद अगले साल पुतिन और ज़ेलेंस्की को भी यह पुरस्कार मिल जाए."