Court on Muzaffarnagar Riots: मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान उमरदीन के नाम के व्यक्ति के घर पर कई लोगों ने लूटपाट की वारदात को अंजाम दिया और घर को आग के हवाले कर दिया. इस मामले में पुलिस ने 11 लोगों को आरोपी बनाया था. 12 साल बाद कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ अहम फैसला सुनया है. जानें?
Trending Photos
Muzaffarnagar Riots 2013: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में साल 2013 में दंगे भड़क गए थे. मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ित 12 साल पहली हुई घटनाओं को याद कर आज भी सिहर उठता है. मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान फुगाना क्षेत्र के लिसाढ़ गांव में हुई लूट और आगजनी के एक मामले में कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 11 आरोपियों को बरी कर दिया है. यह फैसला अपर जिला न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया.
दरअसल, इस मामले में पीड़ित उमरदीन ने घटना के 13 दिन बाद रिपोर्ट दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि 8 सितंबर 2013 को दंगे के दौरान जब वह अपने परिवार के साथ घर में मौजूद थे, तभी आरोपियों की भीड़ ने घर पर हमला कर दिया. उमरदीन के मुताबिक, हमलावरों ने उनके घर से 3.5 तोला सोना, 4 किलो चांदी, 1.80 लाख रुपये नकद और अन्य सामानों समेत लगभग 7.5 लाख रुपये की लूटपाट की.
पीड़ित उमरदीन के मुताबिक, लूटपाट की वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावरों ने घर को आग के हवाले कर दिया. उमरदीन का परिवार किसी तरह जान बचाकर भागा और उन्होंने गांव छोड़कर झिंझाना में अपने भाई के घर पनाह ली. मामले की जांच के बाद पुलिस ने दो अलग-अलग चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी.
पुलिस ने जांच के बाद गांव लिसाढ़ के रहने वाले सुभाष, पप्पू, मनवीर, विनोद, प्रमोद, नरेंद्र, राम किशन, रामकुमार, मोहित, विजय और राजेन्द्र को आरोपी बनाया गया था. हालांकि, केस की सुनवाई के दौरान उमरदीन और उनके बेटे जियाउल हक ने अपने पहले दिए गए बयानों से मुकर गए.
सुनवाई के दौरान एक गवाह की मौत
हिंदुस्तान में छपी खबर के मुताबिक, इस पर कोर्ट ने दोनों को पक्षद्रोही (Hostile Witness) घोषित कर दिया. वहीं, इस मामले में तीसरी गवाह उमरदीन की पत्नी बाला थी, लेकिन इस मामले में बाला की कोर्ट में गवाही से पहले मौत हो गई. इन हालातों को देखते हुए अदालत ने पुलिस के जरिये पेश किए गए सुबूतों को नाकाफी माना और सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया.
ये भी पढ़ें: पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश, भारत ने पाक एंबेसडर को किया निष्कासित!