Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2953462

सपा नेता आज़म खान ने ऐसा क्यों कहा, "रोएंगे नहीं तो, मुस्कुरा भी नहीं पाएंगे हमारी दास्ताँ सुनने वाले"

SP leader Azam Khan Interview: सपा नेता मोहम्मद आज़म खान का 50 सालों का सियासी करिअर है. वो रामपुर के एक ही विधानसभा सीट से 10 बार विधानसभा और एक बार ससंद के सदस्य चुने गए हैं. लेकिन प्रदेश में सरकार बदलने के बाद उनका सियासी, समाजी, निजी और पारिवारिक ज़िन्दगी बिखर सी गई है. उनपर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. हाल में वो 23 माह जेल में गुज़ारने के बाद ज़मानत पर रिहा हुए हैं. विभिन्न मुद्दों पर आज़म खान से सलाम टीवी की वरिष्ठ संवाददाता शबनम हसन ने लंबी बातचीत की है. यहाँ पेश है इस इंटरव्यू के कुछ ख़ास अंश... 

आजाम खान के साथ शबनम हसन
आजाम खान के साथ शबनम हसन

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता मोहम्मद आज़म खान का सियासी सफ़र साल 1975 में उस वक़्त शुरू हुआ था जब इंदिरा गांधी की तत्कालीन सरकार ने देश में इमरजेंसी नाफ़िज कर दी थी. आज़म खान उस वक़्त अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में LLM की पढ़ाई कर रहे थे. सरकार ने इमरजेंसी के विरोध में आज़म खान को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था. वो लगभग 19 माह तक बनारस के जेल में रहे. 

पहली बार 1980 में चौधरी चरण सिंह ने उनकी मुलाक़ात मुलायम सिंह यादव से कराई थी, तब से वो हमेशा के लिए मुलायम सिंह के होकर रह गए और मुलायम सिंह उनके. इसी पार्टी में रहते हुए वो रामपुर से 10 बार विधायक और एक बार सांसद चुने गए. वो सपा को आज भी अपनी पार्टी और अपना परिवार मानते हैं. लोग कहते हैं आज़म खान अगर सपा के बजाये कांग्रेस में होते तो और बड़े फलक पर राष्ट्रीय स्तर के नेता होते, लेकिन आज़म खान ने न कभी कांग्रेस की राजनीति को सराहा न भाजपा की. वो तंजिया लहजे में कहते हैं, जब आज़म खान के सियासी करिअर की शुरुआत हो रही थी तो कांग्रेस ने उन्हें जेल में डालकर इनाम दिया, और आज जब उनके सियासी करिअर की इन्तेहां है, तो कांगेस के दुश्मनों ने हमें जेल भेजकर इनाम से नवाज़!   

जेल से बाहर आने के बाद ऐसी अफवाहें उड़ाई गई कि आज़म खान अब सपा छोड़ बसपा ज्वाइन कर लेंगे, जिसका खंडन करते हुए आज़म खान कहते हैं, " मैं बेवक़ूफ़ तो हूँ लेकिन उतना भी नहीं जितना लोग समझते हैं." 

Add Zee News as a Preferred Source

समाजवादी विचारधारा
क्या देश में समाजवादी विचारधारा आज भी जिंदा है या सियासत में इसकी कोई अहमियत बाकी रह गई है, इस सवाल पर आजाम खान कहते हैं, " देश में अब सिर्फ सत्ता की धारा है. इसके अलावा न कोई विचार है न कोई विचारधारा बची है. सत्ता हासिल करना ही सबकी मंजिल है, चाहे इसके लिए किसी को खून का दरिया या आग का दरिया पार करना पड़े. नफरत का बाज़ार सजाना पड़े या मोहब्बत का सौदा करने पड़े." उन्होंने कहा मुल्क में जो हवा बह रही है, जो बदलाव दिख रहे हैं, वो कोई अचानक नहीं हुए हैं. इसके लिए पिछले एक सदी से मेहनत और कोशिशें की जा रही थी. 

धर्म और सियासत 
आजम खान धर्म और सियासत को अलग करके नहीं देखते हैं. कहते हैं सभी धर्म इंसानों की भलाई के लिए हैं. अगर कोई इसका गलत इस्तेमाल करता है, तो धर्म का गलत इस्तेमाल करने वाला आदमी गलत है न कि कोई धर्म? वो कहते हैं, " 'अल्ला हु अकबर' और 'हर- हर महादेव' का नारा लगाना गलत नहीं है, लेकिन अगर यही नारा अपने पड़ोसियों को डराने और धमकाने के लिए लगाया जाने लगे तो वो गलत है." 

खुद को नहीं मानते मुसलमानों के नेता 
उत्तर प्रदेश की सियासत में आजम खान एक सर्वमान्य और सर्व स्वीकार नेता रहे हैं, लेकिन लोग उन्हें गाहे-बगाहे मुसलमानों का नेता मानते रहे हैं. लेकिन आजम खान ने खुद को न कभी कौम या मुसलमानों का नेता कहा, न कहलवाना पसंद किया. आजम खान कहते है, " मेरा दीन और मजहब इस बात की इज़ाज़त नहीं देता है कि मैं सिर्फ मुसलमान का नेता बनूं या सिर्फ उनके लिए काम करूँ. जब मेरा खुदा रब्बुल मुसलमीन नहीं होकर रब्बुल आलमीन है, तो आजम खान सिर्फ मुसलमानों का नेता कैसे हो सकता है? मैं तो इंसानों के लिए काम करता हूँ, मुसलमान उसमें खुद- बखुद आ जाते हैं."  

रामपुर को क्या दिया ? 
आजम खान ने लगभग 40 सालों तक रामपुर का प्रतिनिधत्व किया. इतने लम्बे अरसे तक जनता का सेवा करना का मौका देश के बहुत कम जनप्रतिनिधियों को मिला है. इतने दिनों में आज़म खान ने रामपुर को क्या दिया ?  इस सवाल पर खान साहब कहते हैं, " हमने अपने पहले चुनावी सभा में अवाम से वादा किया था कि रामपुर पर लगा रामपुरी चाक़ू का दाग मिटाने आया हूँ मैं. एक दिन रामपुर को दुनिया के नक़्शे कदम पर रामपुरी चाक़ू से एक अलग पहचान दिलाऊंगा. तब पीछे से किसी ने आवाज़ लगाई थी आज़म खान पागल हो गया है! मैं सच में पागल आदमी हूँ. मैंने रामपुर से रामपुरी चाक़ू की पहचान का दाग मिटा दिया है. हमने वहां वर्ल्ड क्लास की यूनिवर्सिटी खोली. वहां चाय वाले, ठेले वाले, रिक्शा खींचने वाले के बाल-बच्चों की मुफ्त पढाई का रास्ता हमवार किया, लेकिन इसे किसी की नज़र लग गई. वो तंजिया लहजे में कहते हैं की इस बात का संतोष है हमें कि हमने किताब चुराकर बेची नहीं, उसे पढ़कर किसी ने अपना मुस्तकबिल संवारा होगा.   

किस बात की सजा?  
उत्तर प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद न सिर्फ आजम खान जेल गए बल्कि उनकी सांसद पत्नी और विधायक बेटे अब्दुल्ला आज़म की भी न सिर्फ संसद और विधानमंडल की सदस्यता रद्द हुई बल्कि उन्हें भी जेल में रहना पड़ा. उनके खानदान के लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा. उनकी बड़ी बहन को भी पुलिस ने घर से घसीटकर थाने ले गई थी. वो एक स्कूल की रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं. कई किताबों की लेखिका हैं. 
ऐसा माना जाता है कि आज़म खान और उनका परिवार राजनीतिक प्रतिद्विन्द्वता और दुश्मनी का शिकार बना. आखिर आजाम खान कि वो कौन सी गलती थी, जिसके लिए उनके ऊपर 100 से ज्यादा मुक़दमे किये गए? इस सवाल पर आज़म खान भारी मन से कहते हैं, " हम बकरी चोर हैं, हम किताब चोर हैं, हम भैंस चोर हैं. हमने चोरी की लेकिन सजा हमें डकैती की मिली." 
आज़म खान निहायत ही संजीदीगी के साथ कहते हैं, " मेरा सबसे बड़ा गुनाह ये था कि मैनें रईशों के घर में ईंट जोड़ने वाले, पंचर लगाने वाले, चाकुओं पर धार लगाने वालों के हाथ में कलम थमाने का साहस किया. हमने गलती बड़ी की थी, लेकिन हमें सजा छोटी मिली है." 

जेल में आज़म खान 
अक्सर राजनीतिक बंदियों को जेल में भी VIP सुविधाएं मिलने की ख़बरें आती है, लेकिन आज़म खान को जेल में ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई. उन्हें मौलिक सुविधाओं से भी वंचित रखा गया. आजाम खान ने कहा, "मुझे सीतापुर जेल में 23 माह तक एक 7+ 11 के सेल में रखा गया, जिसमें न कोई खिड़की थी, न कोई वेंटिलेशन की सुविधा. वहां सांप और बिच्छु तक निकल आते थे. वो सेल भी फांसी घर के पास था. वहां तन्हाई और अकेलेपन के अलावा मेरे पास कुछ नहीं था. " उनका कहना है कि एक सामान्य कैदी को भी महीने में चार बार उसके घर वालों से मिलने दिया जाता है, लेकिन हमें मिलने नहीं दिया जाता था. बीमार पड़ने पर हमें डॉक्टर्स से नहीं मिलने दिया. 

आजाम खान ने इल्ज़ाम लगाया है कि जेल में रहते हुए उनकी आँखों में शिष्ट हो गया था. अगर इसका सही वक़्त पर इलाज़ न हो तो आँखों की रौशनी भी जा सकती है. सिर्फ 20 मिनट के ऑपरेशन से इसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन जेल प्रशासन ने उन्हें इसके इलाज़ के लिए इज़ाज़त नहीं दी, जबकि कोर्ट इसके लिए आर्डर दे चुका था. 

जब कोविड की पहली लहर आयी तो आज़म खान उस वक़्त जेल में बंद थे. उनका बेटा अब्दुल्ला आज़म भी जेल में बंद था. उन दोनों को covid संक्रमण हो गया. आजम खान सवाल खड़े करते हैं कि जब हम किसी से मिले ही नहीं, किसी के संपर्क में ही नहीं आये तो हमें और अब्दुल्ला को covid कैसे हो गया, जबकि पूरे जेल में किसी अन्य कैदी को covid नहीं हुआ? " आजम खान का मेदंता में पांच माह तक इलाज़ हुआ, लेकिन ये बात सार्वजनिक रूप से छुपाई गई. 

क्या जेल में आज़म खान को डर लगता था ? 
आज़म खान कहते हैं कि उन्हें जेल में कुछ याद नहीं था. वो कौन हैं? वो क्या थे? उन्हें कहाँ जाना है? क्या करना है? उन्होंने कहा, मैं खुद को भूल गया था. अपने खानदान को भूल गया था. क्या जेल की कोठरी में तन्हाई के आलम में आज़म खान को डर लगता था, इस सवाल पर आजम खान ने कहा, " दहशत तो उन्हें होती है, जो जिंदा होते हैं! मैं तो सिर्फ अल्लाह को याद करता था, जिसने वादा किया है कि वो अपने बन्दों को कभी अकेला नहीं छोड़ता है."  

बदले की भावना
क्या आज़म खान किसी से बदले की भावना रखते हैं, इसपर आज़म खान ने कहा, अल्लाह इस बात की इज़ाज़त हर इंसान को देता है कि वो अपने ऊपर हुए ज़ुल्म का बदला ले सकता है. लेकिन अगर ये फैसला अल्लाह पर छोड़ दिया जाए तो वो इंसानों से ज्यादा बेहतर बदला लेता है. आज़म खान ने अपना इन्साफ अल्लाह पर छोड़ दिया है. 

आजाम खान की सफलताएं
आजाम खान की क्या सफलताएं हैं, इसपर आज़म खान ने कहा, हमारी कामयाबी हमारी मुफलिसी, लाचारी और नादानी है. इसके अलावा हमने कुछ नहीं पाया है. 

किसी बात का पछतावा
क्या आज़म खान को किसी बात का पछतावा है, इसपर आजाम खान कहते हैं, " हाँ, इस बात का पछतावा है कि ऐसा कैसे हुआ ?  मैं ऐसा क्यों हूँ? मैं वैसा क्यों नहीं हूँ? अगर मैं दश्त न होता तो समुंदर होता." 

सताए हुए लोग
क्या आजाम खान सक्रिय राजनीति में फिर लौटेंगे, इस सवाल के जवाब में आज़म खान ने कहा, अभी तो मैं जेल से आया हूँ, बीमार हूँ. अभी मुझे कुवत लेनी है. आप हमारे लिए दुआ कीजिये.. उनके लिए भी दुआ कीजिये जो हमसे भी ज्यादा सताए हुए लोग हैं.. 

जुमला या लफ्ज़ नहीं कई किताब हैं आज़म खान 
आजाम खान को अगर एक सेंटेंस में जाहिर करना पड़े तो कैसे करेंगे.. वो जुमला क्या होगा? इस सवाल के जवाब में आज़म खान ने कहा, मैं जुमला या लफ्ज़ नहीं कई किताब हूँ.. हमारी दास्ताँ पढ़कर अगर लोग रोएंगे नहीं तो वो मुस्कुरा भी नहीं पाएंगे. 

 मुस्लिम माइनॉरिटी की ऐसी ही खबरों के लिए विजिट करें https://zeenews.india.com/hindi/zeesalaam

TAGS

Trending news