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BJP के 'मुसलमानों का कब्ज़ा' दिखाने वाले वीडियो पर SC सख्त, X और असम बीजेपी को भेजा नोटिस

SC on Assam BJP Video: बीते दिनों असम बीजेपी के जरिये जारी विवादित वीडियो में मुसलमानों को राज्य पर कब्जा करते दिखाया गया है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक्स और बीजेपी असम इकाई को नोटिस भेजा है. वीडियो को लाखों लोगों ने देखा है. कोर्ट ने हिमंता सरकार के इस वीडियो पर कहा कि यह सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकता है.

 

सुप्रीम कोर्ट असम बीजेपी के वीडियो पर सख्त
सुप्रीम कोर्ट असम बीजेपी के वीडियो पर सख्त

Assam BJP Video: असम की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार की मुसलमानों के खिलाफ नफरत किसी से छिपी नहीं है. हालिय कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बुलडोजर की कार्रवाई की है, जबकि बांग्लादेशी और रोहिंग्या के नाम पर कई लोगों को 'नो मेंस लैंड' में धकेल दिया. हालांकि, बीजेपी सरकार को इन कार्रवाई को लेकर कोर्ट से कड़ी फटकार भी मिल चुकी है. 

मुसलमानों को टार्गेट कर बनाए गए एक सियासी विज्ञापन को लेकर असम की भारतीय जनता पार्टी इकाई बैकफुट पर है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 अक्टूबर) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) और असम बीजेपी इकाई को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस उस याचिका पर भेजा गया है जिसमें मांग की गई है कि असम बीजेपी के जरिये पोस्ट की गई एआई-जनरेटेड विवादित वीडियो को तुरंत हटाया जाए. 

इस वीडियो में दिखाया गया है कि अगर बीजेपी अगला विधानसभा चुनाव हार जाती है तो असम में 'मुस्लिमों का कब्जा' हो जाएगा. इस वीडियो में राहुल गांधी और गौरव गोगोई की तस्वीर दिखाते हुए उनका लिंक पाकिस्तान से होने के आरोप लगाए गए हैं. वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि यह वीडियो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकता है.

वीडियो में मुसलमानों को किया गया है टार्गेट

इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा ने कहा, "यह वीडियो आगामी विधानसभा चुनाव के हिस्से के रूप में पोस्ट किया गया है. इसमें दिखाया गया है कि अगर एक खास पार्टी सत्ता में नहीं आती तो एक खास समुदाय राज्य पर कब्जा कर लेगा. इसमें टोपी और दाढ़ी वाले लोगों को दिखाया गया है." उन्होंने अदालत से मांग की कि इस वीडियो कंटेंट को डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.

इस वीडियो के खिलाफ एक और आवेदन एडवोकेट जफीर अहमद के जरिए दायर की गई थी. जिसमें कहा गया कि 15 सितंबर को असम की भारतीय जनता पार्टी की इकाई ने यह वीडियो एक्स पर शेयर किया था. वीडियो में साफ तौर पर मुस्लिम पहचान वाले लोगों को असम के चाय बागानों, गुवाहाटी एयरपोर्ट, रंग घर और सरकारी जमीनों पर कब्जा करते हुए दिखाया गया है.

विज्ञापन में संवैधानिक मूल्यों का किया गया उल्लंघन 

एडवोकेट जफीर अहमद की तरफ से दिए गए याचिका में कहा गया, "बीजेपी असम में सत्ताधारी दल है. वह संविधान से बंधी हुई है. ऐसे में उसे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए. लेकिन यह वीडियो सीधे तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाता है और उन्हें गलत तरीके से पेश कर रहा है." उन्होंने आगे कहा, "वीडियो का मुख्य संदेश यह है कि किसी राज्य के लिए सबसे बुरा हाल यह होगा कि उस पर मुसलमान कब्ज़ा कर लें और इस डर के आधार पर वोट मांगा जा रहा हैं."

याचिका में यह भी कहा गया कि यह वीडियो धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की पूरी तरह अनदेखी को दर्शाता है, जबकि संविधान के तहत किसी भी राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह सभी समुदायों का रसपरस्त बने. संविधान साफ तौर पर कहता है कि किसी भी शख्स या समूह के साथ धर्म, जाति, भाषा, नस्ल या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

याचिका में कहा गया कि न सिर्फ सियासी पार्टियां या सत्ताधारी दल बल्कि कानून के तहत आम नागरिकों को भी कानूनन सांप्रदायिक भाषण देने या सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने से रोका गया है. इसलिए एक निर्वाचित सरकार पर और भी ज्यादा जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष और धर्मनिरपेक्ष बनी रहे.

वीडियो को देख चुके हैं लाखों लोग

इस याचिका में आगे बताया गया कि यह वीडियो 15 सितंबर को असम बीजेपी के ऑफिशियल एक्स हैंडल से पोस्ट की गई थी. 18 सितंबर तक इस वीडियो को 6100 बार रीपोस्ट, 19 हजार बार लाइक और 46 लाख बार देखा जा चुका था. याचिका में मांग की गई है कि इस वीडियो को तुरंत हटाया जाए ताकि आगे सांप्रदायिक तनाव और नफरत न फैले.

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Raihan Shahid

रैहान शाहिद का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले से हैं. वह पिछले पांच सालों से दिल्ली में सक्रिय रूप से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हैं. Zee न्यूज़ से पहले उन्होंने ABP न्यूज़ और दू...और पढ़ें

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