Supreme Court on Sambhal Mosque Well: देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को जामा मस्जिद से सटे विवादित कुएं को लेकर सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के बाद एएसआई को महज 48 घंटे के भीतर कुएं को लेकर जवाब दाखिल करने को कहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष को दो हफ्तों का समय दिया है.
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Sambhal Mosque Well Dispute: संभल की जामा मस्जिद से सटे प्राचीन कुएं के विवाद पर मंगलवार (29 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कुएं के दावे को लेकर मस्जिद कमेटी से दो हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है, जबकि एएसआई से महज 48 घंटे में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद जामा मस्जिद कमेटी और ASI आमने सामने आ गए हैं. ASI के अधिवक्ता विष्णु कुमार ने दावा किया कि यह कुआं सार्वजनिक है और साल 1920 से ASI के संरक्षण में है. उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय के लोग 12 साल पहले तक कुएं पर धार्मिक पूजा पाठ करते रहे हैं. अधिवक्ता विष्णु कुमार ने कहा कि पूर्व की विधर्मी सरकार ने हिंदुओं के पूजा पाठ पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसका ASI के पास पुख्ता सुबूत हैं.
ASI के दावे पर जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के वकील शकील वारसी ने प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि सरकार का दावा है कि 'कुआं' सरकारी भूमि पर है, अगर ऐसा है तो वह सुबूत के तौर खसरा खतौनी और अन्य दस्तावेज दिखाए. शकील वारसी ने कहा कि कुआं जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की प्रॉपर्टी है, हमारे पास पुख्ता सुबूत हैं. जिन्हें हम कोर्ट में पेश करेंगे.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संभल स्थित शाही जामा मस्जिद विवाद में मस्जिद कमेटी को बड़ी राहत देते हुए हकीकी सूरते हाल जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है. यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया है कि विवादित कुआं मस्जिद परिसर से पूरी तरह बाहर मौजूद है.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने साफ किया कि मस्जिद कमेटी को दिए गए समय के भीतर ही जवाब दाखिल करना होगा. वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली के जेल में होने का हवाला देते हुए तीन हफ्ते का समय मांगा था, जिसे अदालत ने अस्वीकार करते हुए कहा कि 'मुलाकात करें और जवाब दाखिल करें, दूसर सदस्य भी यह काम कर सकते हैं.'
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को हकीकी सूरते हाल बनाए रखने का आदेश देते हुए संभल के जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि मस्जिद के एंट्री गेट के पास मौजूद कुएं पर कोई निर्माण या धार्मिक गतिविधि न हो. यह मामला तब सुर्खियों में आया जब कुछ हिंदू पक्षकारों ने दावा किया कि यह कुआं ऐतिहासिक धार्मिक महत्व रखता है और उसका जीर्णोद्धार जरूरी है.
मस्जिद कमेटी ने याचिका में आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन "धार्मिक अभियान" के नाम पर शहर के पुराने मंदिरों और कुओं का जीर्णोद्धार कर रहा है, जिससे समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि करीब 32 पुराने मंदिरों और 19 कुओं को धार्मिक इस्तेमाल के लिए पुनर्जीवित किया जा रहा है.
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