Gonda: बिना मान्यता के चल रहा मदरसा सील, स्थानीय लोग नाराज, सरकार से की ये मांग
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Gonda: बिना मान्यता के चल रहा मदरसा सील, स्थानीय लोग नाराज, सरकार से की ये मांग

Gonda Madarsa News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार कथित अवैध मस्जिद, मदरसा और मजारों पर कार्रवाई कर रही है. प्रदेश के अलग-अलग जिलों में खासकर नेपाल से सटे इलाकों में मस्जिद मदरसों पर खास नजर रखी जा रही है. इस बीच गोंडा में एक मदरसे पर प्रशासन का हंटर चला और उसे बंद कर दिया गया.

 

गोंडा में मदरसा सील
गोंडा में मदरसा सील

Gonda News Today: गोंडा जिले के जमुनियाबाग के विशुनाग में संचालित मदरसा जामिया उम्मुल खैर अहसनुल बनात को बिना मान्यता के संचालन के आरोप में जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने सील कर दिया है. जांच के दौरान पाया गया कि कुल 103 छात्राओं में से 42 छात्राएं हॉस्टल में रहती थीं, जिन्हें दीनी तालीम के साथ एदादिया ऊला और राबिया स्तर की तालीम दी जा रही थी.

यह कार्रवाई सपा जिलाध्यक्ष अरशद हुसैन की शिकायत पर हुई. शिकायत में उन्होंने मदरसे में 250 छात्राओं में से 150 के हॉस्टल में रहने और देखभाल की उचित व्यवस्था न होने का आरोप लगाया था. जांच में आरोप सही पाए जाने पर मदरसे को तत्काल प्रभाव से बंद कर सील कर दिया गया. 

मदरसा प्रबंधक मोहम्मद इकरार अहमद को नोटिस जारी कर छात्राओं को आस-पास के स्कूलों में दाखिला कराने के निर्देश दिए गए हैं. फिलहाल प्रशासन की देखरेख में छात्राओं का एडमिशन स्थानीय स्कूलों में कराया जा रहा है. 

बच्चियां महसूस कर रही थीं असुरक्षित

मदरसा जामिया उम्मुल खैर अहसनुल बनात, गोंडा सदर तहसील क्षेत्र के विशुनाग, जमुनियाबाग में करीब पांच सालों से संचालित किया जा रहा था. जांच में सामने आया कि यह मदरसा बगैर मान्यता के चल रहा है, जिसके बाद प्रशासन ने सील कर दिया. इस मदरसे में गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच समेत अन्य जिलों की लगभग 200 छात्राओं को दीनी और प्राइमरी तालीम दी जा रही थी. 

गोंडा और पीलीभीत के मौलवी मदरसे में बच्चियों को पढ़ाते हैं. मदरसे के बच्चियों की उचित देखभाल न होने की वजह से वह असुरक्षित महसूस कर रही थी. जिसके बाद सपा जिलाध्यक्ष अरशद हुसैन की शिकायत पर जांच कराई गई. जांच के दौरान 103 छात्राओं में से 42 हॉस्टल में रहकर तालीम हासिल कर रही थीं. 

बच्चियों की सुरक्षा को देखते हुए जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने तत्काल मदरसे को सील कर दिया और छात्राओं का दाखिला दूसरे सरकारी स्कूलों में करवाया. मदरसा संचालक मोहम्मद इकरार अहमद को नोटिस जारी कर बाकी छात्राओं को भी दूसरी जगह ट्रांसफर करने के निर्देश दिए गए हैं

'बच्चियों की दी जा रही थी मुफ्त तालीम'

मदरसा जामिया उम्मुल खैर अहसनुल बनात को सील किए जाने को लेकर अब स्थानीय लोगों के साथ उलेमा काफी नाराज हैं. इसी मदरसे में पढ़ाने वाले मौलाना अफसर अहमद का कहना है कि यह संस्थान सालों से गरीब बच्चियों को मुफ्त दीनी और रस्मी तालीम दे रहा था. उन्होंने आरोप लगाया कि सपा जिला अध्यक्ष ने सियासी फायदा हासिला करने के लिए डीएम को शिकायत भेजी. इसी शिकायत के आधार पर इसे बंद कर दिया गया.

मौलाना अफसर अहमद ने बताया कि उर्दू बोर्ड से मान्यता इसलिए नहीं थी क्योंकि वह 2016 से ही बंद है. बच्चियों को महिला शिक्षकों की निगरानी में सुरक्षित माहौल में तालीम दी जा रही थी. वहीं स्थानीय निवासी शिवकुमार और जुनैद ने भी मदरसे के दोबारा संचालन की मांग की है. उनका कहना है कि अगर कोई कमी है तो उसे दूर कर मदरसे का दोबारा संचालन शुरू किया जाए.

मौलाना अफसर अहमद के मुताबिक, यहां पर लड़कियां पढ़ते थे छोटी-छोटी बच्चियों पढ़ती थी गरीब बच्चियों के पढ़ने रहने और खाने की यहां व्यवस्था थी यहां बच्चियां रहती भी थी। हम लोग मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह मदरसा गरीब बच्चियों को तालीम, अदब और जिंदगी के फलसफे सिखा रहा था. यहां महिला टीचरों की निगरानी में पढ़ाई होती थी और किसी पुरुष टीचर के अंदर जाने की इजाजत नहीं थ.

सरकार से स्कूल दोबारा खेलने की मांग

स्थानीय निवासी शिवकुमार ने बताया कि बच्चे यहां अच्छी तालीम हासिल कर रहे थे, अगर कोई खामी थी तो सुधार होना चाहिए न कि बंद किया जाए. पास में रहने वाले जुनैद ने कहा कि मदरसे को मान्यता नहीं मिली थी, लेकिन कागजी प्रक्रिया जारी थी. लोगों का कहना है कि अब क्षेत्र में कोई भी ऐसा मान्यता प्राप्त मदरसा नहीं है जो विशेष रूप से बच्चियों को तालीम दे. बच्चियां घर पर रहकर तालीम नहीं हासिल कर पा रही हैं. लोगों ने मांग की है कि सरकार दोबारा मदरसे को संचालन की इजाजत दे.

इस संबंध में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रमेश चंद्र ने बताया कि समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष अरशद हुसैन के जरिये डीएम नेहा शर्मा को भेजी गई शिकायत के आधार पर जांच की गई. निरीक्षण के दौरान 103 छात्राएं पंजीकृत मिलीं, जिनमें से 42 आवासित थीं. उन्होंने बताया कि यह मदरसा बिना पंजीकरण और मान्यता के संचालित हो रहा था.

संचालक का कहना है कि यह इसी सत्र से शुरू किया गया है और मान्यता के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है. विभाग ने छात्राओं के अन्य स्कूलों में एडमिशन कराने और उसकी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं. 

सपा ने की सख्त कार्रवाई की मांग

समाजवादी युवजन सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरफराज हुसैन ने इसे सपा जिलाध्यक्ष को बदनाम करने की साजिश बताया. उन्होंने आगे कहा कि मदरसे में सुरक्षा की कमी थी. उन्होंने निष्पक्ष जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की. प्रशासन ने बताया कि प्रदेशव्यापी जांच में यह मदरसा भी बिना मान्यता के पाया गया.

गोंडा में बिना मान्यता बंद किए गए मदरसे को लेकर सपा जिलाध्यक्ष अरशद हुसैन पर लगे आरोपों पर उनके भतीजे और समाजवादी युवजन सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरफराज हुसैन ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि यह साजिश है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सरफराज ने बताया कि वे भी इस मदरसे की चंदे से मदद करते थे, लेकिन वहां बच्चियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर खामियां थीं. एक मौलवी बिना रजिस्ट्रेशन के पढ़ा रहा था और बच्चियां रात में बाहर आती-जाती थीं. महिला देखरेख की व्यवस्था भी नहीं थी. उन्होंने पूरे मामले में निष्पक्ष जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की.

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