ऑटो ड्राइवर की बेटी अदीबा ने UPSC में रचा इतिहास, बनीं महाराष्ट्र की पहली मुस्लिम महिला अफसर
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ऑटो ड्राइवर की बेटी अदीबा ने UPSC में रचा इतिहास, बनीं महाराष्ट्र की पहली मुस्लिम महिला अफसर

Muslim Toppers in UPSC 2024: सिविल सर्विसेज के बीते 22 अप्रैल के जारी नतीजों में देश भर 1009 कैंडिडेट्स ने कामयाबी हासिल की. उनमें से महज 30 कैंडिडेट्स ही मुस्लिम समुदाय से हैं. महाराष्ट्र की अदीबा अहमद भी सिविल सर्विस एग्जाम में कामयाब होने कैंडिडेट्स में शामिल हैं. आइये जानते हैं, उनकी कामयाबी क्यों है खास?

अदीबा अहमद अपने वालिद के साथ
अदीबा अहमद अपने वालिद के साथ

UPSC Result 2024: हिंदुस्तान के लाखों युवा हर साल सिविल सर्विसेज के एग्जाम में कामयाब होकर सिविल सर्वेंट बनने का सपना देखते हैं, लेकिन उनमें से महज चंद लोग ही इसमें कामयाब हो पाते हैं. यूपीएससी ने 22 अप्रैल सिविल सर्विस का रिजल्ट जारी किया. महाष्ट्र की अदीबा अहमद ने भी बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की और अपने वालिदैन के ख्वाबों को हकीकत कर दिखाया.

अदीबा अहमद की कामयाबी कई मायनों में बहुत खास है. इसकी वजह से यह है कि वह महाराष्ट्र से यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) का एग्जाम पास करने वाली पहली मुस्लिम महिला बनी हैं. इस बार देश भर से महज 30 मुस्लिम कैंडिडेट्स को ही सिविल सर्विसेज में कामयाबी मिली है.

बेटियों ने मारी बाजी

बीते 22 अप्रैल को जारी किए गए नतीजों में इस बार भी बेटियों ने बाजी मारी, जिनमें शक्ति दुबे और हर्षिता गोयल ने टापर्स की लिस्ट में अव्वल नंबर हैं. हालांकि अदीबा टॉप रैंक पर नहीं आईं, लेकिन भारत ही नहीं दुनिया के सबसे मुश्किल एग्जाम में से एक पास करने के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा है. अदीबा ने यह कामयाबी कड़ी मेहनत और घर की माली हालत को दरकिनार कर हासिल की है. 

अदीबा अहमद का ताल्लुक महाराष्ट्र के यवतमाल जिले से है, उनके वालिद पेशे से एक ऑटो ड्राइवर हैं और वालिदा हाउसमेकर हैं. यूपीएससी में अदीबा का यह तीसरा अटेंप्ट था. अपने तीसरे अटेंप्ट में उन्होंने ऐतिहासिक कामयाबी हासिल करते हुए 142वीं रैंक हासिल की. अदीबा के सिविल सर्विसेज में टॉप करने की खबर से उनकी फैमिली और रिश्तेदारों में खुशी की लहर दौड़ गई.

अदीबा की कामयाबी है खास

अदीबा ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मेरे चाचा ने आईएएस बनने के लिए लगातार मेरी हौसलअफजाई की. उनकी गाइडेंस ने मुझे इस दिशा में आगे बढ़ने का हौसला दिया. ग्रेजुएशन के बाद मैंने पूरी तरह से अपने मकसद को पाने के लिए खुद को वक्फ कर दिया." उनकी कामयाबी की राह आसान नहीं थी. अदीबा का फैमिली किराए के मकान में रहती है. 

अदीबा ने बताया कि एक पितृसत्तात्मक समाज में इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था. अदीबा ने कहा, "यह मेरा तीसरा अटेंप्ट था. इससे पहले जब कामयाबी नहीं मिली तो वह बहुत मायूस हो गई थीं. कई बार लगा कि शायद मैं सिविल सर्विसेज के लिए उपयुक्त नहीं हूं."

सिविल सर्विस में करियर बनाने का ख्वाब देखने वाले युवाओं को नसीहत देते हुए अदीबा ने कहा, "जिंदगी में कई तरह के चैलेंज आते हैं, जो हमें हमारे सपनों से दूर कर सकते हैं. मेरे साथ भी यही हुआ, लेकिन मेरे वालिदैन ने हर उतार-चढ़ाव में दो मजबूत स्तंभों की तरह मेरा साथ दिया."

'भाषा महज एक मिथक'

भाषा को लेकर भी अदीबा ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया. उन्होंने कहा, "मेरे हिसाब से भाषा सिर्फ एक मिथक है. मैंने इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई नहीं की थी, फिर भी यूपीएससी में बैठी, नाकाम हुई और फिर कामयाब हुई." अदीबा ने कहा, "अगर आपके अंदर जूनून और दृढ़ निश्चय है, तो ऐसी मुश्किलें कोई मायने नहीं रखती हैं." सिविल सर्विसेज में बेटी की कामयाबी पर अदीबा के वालिद ने कहा, "मुझे अपनी बेटी पर फख्र है. उसने इतिहास रच दिया है. 

युवाओं को अदीबा ने कामयाबी का संदेश देते हुए कहा, "भौतिक इच्छाओं को अपने सपनों पर हावी न होने दें. आपके पास यूपीएससी पास करने के सारे संसाधन हो सकते हैं, लेकिन अगर आपके अंदर आग नहीं है तो सब बेकार है. नाकामी जिंदगी का हिस्सा है. असफलताओं से हार न मानें, उनसे सीखें और आगे बढ़ें."

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