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UP में आसान नहीं होगा 'दीन की बातें' फैलाना; तबलीगी जमात की हर गतिविधि पर सरकार रखेगी नज़र !

UP Police order on Tablighi Jamaat: उत्तर प्रदेश में तबलीगी जमात की निगरानी को लेकर जारी आदेश ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे समुदाय विशेष को निशाना बनाने की साजिश बताया है. अदालतों से बरी होने के बावजूद जमात पर बढ़ी निगरानी कई सवाल खड़े करती है.

 

(फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)

Uttar Pradesh News Today: उत्तर प्रदेश में बीते कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्थलों और मदरसों पर कार्रवाई की गई. योगी सरकार के आदेश की गई कार्रवाई के दौरान धार्मिक स्थलों और मदरसों को या अवैध होने के नाम पर या तो गिरा दिया गया या फिर उन्हें ढहा दिया. इससे पहले सत्तारूढ़ पार्टी के कई नेता लव जिहाद, धर्मांतरण, थूक जिहाद, लैंड जिहाद जैसे कई आरोप लगाते रहे हैं. कई विवादित फैसलों पर सरकार और शासन प्रशासन को कोर्ट ने फटकार भी लगाई है. 

योगी सरकार ने अब एक और विवादित आदेश दिया है. इस फैसले से मुस्लिम समुदाय खासकर तबलीगी जमात से जुड़े हुए लोग पुलिस प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर होंगे. धार्मिक कामों के प्रचार-प्रसार में जुटी तबलीगी जमात की निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं. इस आदेश के जारी होने पर मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दलों ने कड़ी निंदा की है. विपक्ष का कहना है कि अब उत्तर प्रदेश सरकार की नजरें तबलीगी जमात को परेशान करने पर टिक गई हैं. यह महज सियासत चमकाने के लिए किया गया है. 

तबलीगी जमात के हर कदम पर होगी नजर

लखनऊ जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) कार्यालय से इसको लेकर आदेश जारी किया गया है. इस आदेश के तहत सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) और पुलिस अधीक्षक (SP) को अपने-अपने जिलों में आने और जाने वाली तबलीगी जमात के सदस्यों पर नजर रखनी होगी. साथ ही उनकी रोजाना रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं. एडीजी कार्यालय के आदेश में कहा गया है कि लखनऊ जोन के हर जिले में आने वाली और अन्य जिलों या राज्यों में जाने वाली तबलीगी जमात की जानकारी रोजाना सुबह 8 बजे तक रीजनल ऑफिस के जरिए एडीजी कार्यालय को भेजी जाए.

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आदेश में क्या कहा गया है?

'इंकलाब' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, आदेश में साफ तौर से कहा गया है कि रिपोर्ट तैयार करते समय सभी जिलों की पुलिस को तफ्सील से जानकारी देनी होगी. इसमें यह बताना जरूरी होगा कि जमात किस जिले या राज्य से आई है और कहां जा रही है, उनकी आने और जाने की तारीख क्या है, जमात में शामिल लोगों की कुल संख्या कितनी है और वापस लौटने वालों की संख्या कितनी है? यानी, प्रशासन अब तबलीगी जमात की हर छोटी से छोटी सरगर्मी पर नजर रखने के लिए डेटा इकट्ठा करने जा रहा है. 

इसी तरह लखनऊ से जाने वाली जमातों की निगरानी भी रखनी होगी. यह आदेश उप पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र नाथ यादव (एडीजी कार्यालय) के हस्ताक्षर से जारी किया गया है. आदेश की एक प्रति लखनऊ और अयोध्या रेंज के पुलिस महानिरीक्षकों (IG) को भी कार्रवाई और जानकारी के लिए भेजी गई है. पुलिस के मुताबिक, इस आदेश का मकसद तबलीगी जमात की एक जिले से दूसरे जिले में आवाजाही पर नजर रखना है.

तबलीगी जमात पर दर्ज FIR हो गई थी रद्द

गौरतलब है कि कोरोना काल से महज कुछ दिनों पहले मार्च 2020 में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात का एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था. इसी दौरान तेजी से फैलते कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया गया था. इस दक्षिणपंथी संगठनों, खास मीडिया समूह और सियासी दलों ने 'सुपर स्प्रेडर' के रुप में प्रचार किया गया था. उस वक्त स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया था कि इस जमात की वजह से 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना संक्रमण फैला. 

इस मामले में कई एफआईआर दर्ज की गई थीं. लेकिन बाद में दिल्ली की एक अदालत ने 13 देशों के 36 विदेशी नागरिकों को सभी आरोपों से बरी कर दिया. इससे पहले अगस्त 2020 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 29 विदेशी नागरिकों और 6 भारतीय नागरिकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी थी और कहा था कि इन्हें 'बलि का बकरा' बनाया गया था.

अफगान विदेश मंत्री के दौरे को लेकर संदेह!

इसी तरह देश की अन्य अदालतों ने भी कई मामलों में कहा कि सबूत नाकाफी हैं और कई लोग जानबूझकर निशाना बनाए गए थे. अब इतने सालों बाद पुलिस के जरिये तबलीगी जमात की आवाजाही पर निगरानी के नए आदेश ने एक बार फिर कई सवाल और शंका खड़ी कर दी है. यह भी कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के भारत दौरे के मौके पर देवबंद का जाने के बाद से खुफिया एजेंसियां तबलीगी जमात और अन्य मुस्लिम संगठनों की सरगर्मियों पर नजर रख रही हैं.

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