Taliban on Girls Education: संयुक्त राष्ट्र और न्यूज चैनल अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान सरकार के आने के बाद करीब 14 लाख लड़कियों की पढ़ाई पर पाबंदी लगा दी गई है. लेकिन अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने बड़ा दावा किया है.
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Taliban on Girls Education: अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से लड़कियों की पढ़ाई पर पाबंदी को लेकर दुनिया भर में आलोचना हो रही है. इस बीच, भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्तकी से जब पत्रकारों ने पूछा कि उनके देश में लड़कियों को तालीम से महरूम क्यों किया गया है? तो मुत्तकी ने कहा, “हमारे देश में आज भी लाखों लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं और महिलाओं की शिक्षा को हमने हराम नहीं बताया है.
विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्तकी ने कहा, "इस समय अफगानिस्तान में 1 करोड़ छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें से 28 लाख महिलाएं और लड़कियां हैं. कुछ इलाकों में जरूर सीमाएं हैं, लेकिन हमने महिलाओं और लड़कियों की पढ़ाई को हराम नहीं घोषित किया है. कुछ जगहों पर अस्थायी रूप से पढ़ाई पर रोक लगाई गई है, हमेशा के लिए नहीं. मुत्तकी ने बताया कि धार्मिक मदरसों में लड़कियों की पढ़ाई ग्रेजुएशन स्तर तक जारी है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के मदरसे भारत के देवबंद जैसे संस्थानों से भी गहरे संबंध रखते हैं.
14 लाख लड़कियां नहीं जा पा रही हैं स्कूल
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र और न्यूज चैनल अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान सरकार के आने के बाद करीब 14 लाख लड़कियों की पढ़ाई पर पाबंदी लगा दी गई है. अप्रैल 2023 के बाद से 3 लाख और लड़कियां स्कूल नहीं जा पा रहीं. यूनेस्को ने चेतावनी दी थी कि इससे पूरी एक पीढ़ी का भविष्य खतरे में है.
तालिबान ने क्यों लगाई है लड़कियों की एजुकेशन पर रोक
गौरतलब है कि अगस्त 2021 में तालिबान की अफगानिस्तान में वापसी के बाद सबसे पहले असर लड़कियों की तालीम पर पड़ा. तालिबान ने इस्लामी शरीयत कानून लागू करते हुए क्लास 6 से ऊपर की लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी. बाद में महिलाओं के विश्वविद्यालयों में दाखिले और काम करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. तालिबान का दावा है कि यह फैसला अस्थायी है और इस्लामिक सिद्धांतों के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था तैयार होने के बाद पाबंदी हटाई जाएगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.