बांगलादेश सिविल सर्विस में सफल कैंडिडेट्स को नहीं मिला कैडर, आमरण अनशन कर दी ये चेतावनी
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बांगलादेश सिविल सर्विस में सफल कैंडिडेट्स को नहीं मिला कैडर, आमरण अनशन कर दी ये चेतावनी

Bangladesh Civil Service: 43वीं बांग्लादेश सिविल सर्विसेज में कई कैंडिडेट्स कामयाब होने के बाद उन्हें कैडर नहीं मिला है.  सफल कैंडिडेट्स की संख्या एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों में हैं. आयोग के उदासीन रवैये से परेशान होकर कई सफल कैंडिडेट्स ने ढाका यूनिवर्सिटी में आमरण अनशन शुरू कर दिया है.

 

ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते BCS कैंडिडेट्स
ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते BCS कैंडिडेट्स

Bangladesh News Today: 43वीं बांग्लादेश सिविल सर्विस (BCS) एग्जाम का दूसरा गजट जारी होने पर बवाल खड़ा हो गया. दूसरे गजट से बाहर किए गए कम से कम पांच कैंडिडेट्स ने मंगलवार (29 अप्रैल) से आमरण अनशन शुरू कर दिया है. उनकी मांग है कि उन्हें तुरंत गजट में शामिल किया जाए.

यह अनशन ढाका यूनिवर्सिटी के राजू मेमोरियल स्कल्पचर के नीचे सुबह करीब 11 बजे से शुरू हुआ. यह प्रदर्शन "43वीं बीसीएस वंचित कैडर अधिकारी एवं सामान्य छात्र" बैनर के तहत किया जा रहा है. बाद में इस आमरण अनशन में लगभग 20 अन्य अभ्यर्थी भी शामिल हुए जो पहले गजट में थे लेकिन दूसरे गजट से हटा दिए गए. 

क्या है पूरा मामला?

इन सभी ने अपनी एकजुटता दिखाते हुए सरकारी नौकरी में वेरिफिकेशन पॉलिसी को अंतिम रुप (Finalisation) देने की मांग की है. प्रदर्शन करने वाले कैंडिडेट्स ने बताया कि अंतरिम सरकार के तहत जन प्रशासन मंत्रालय ने 15 अक्टूबर को पहला गजट प्रकाशित किया था, जिसमें एग्जाम पास करने वाले कैंडिडेट्स को शामिल किया गया था.

उन्होंने आगे बताया कि शुरू में जॉइनिंग की तारीख 28 अक्टूबर तय की गई थी, लेकिन बाद में इसे एक ऑफिशियल नोटिफिकेशन के जरिए 1 जनवरी तक बढ़ा दिया गया. हालांकि, 1 जनवरी को नियुक्ति से ठीक पहले 30 दिसंबर को एक दूसरा गजट जारी किया गया, जिसमें पहले लिस्ट में शामिल 227 कैंडिडेट्स को बाहर कर दिया गया.

'साबित कर चुके हैं योग्यता'
प्रदर्शनकारियों ने कहा, "हमें बाहर करने का कोई ठोस वजह नहीं बताई गई है." उन्होंने बताया कि लंबे समय से जारी अनिश्चितता ने उन्हें बार-बार सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है. प्रदर्शनकारी महमूदुल हसन ने कहा, "कैडर में नौकरी पाने के लिए योग्यता सबसे जरूरी होती है, जो हम पहले ही प्रिलिमिनरी, रिटन और इंटरव्यू का एग्जाम पास कर साबित कर चुके हैं."

महमूदुल हसन ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि "सारी अहलियत पूरी करने के बाद पुलिस वेरिफिकेशन प्रोसेस के दौरान सरकार ने हमारे साथ ऐसा सुलूक किया, जैसे मानों हम मुल्जिम हों." उन्होंने कहा कि इस तरह का कल्चर हर हाल में खत्म होना चाहिए. 

कैंडिडेट्स ने दी चेतावनी

कई कैंडिडेट्स ने बताया कि उन्होंने कैडर सेवा की सिफारिश के बाद अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद वह अब पूरी तरह से उहापोह और उलझन की हालत में हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक गजट से बाहर किए गए कैंडिडेट्स को बहाल नहीं किया जाता है, तब तक उनका अनशन और धरना जारी रहेगा.

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