Bangladesh: इमाम से बाल काटने का पैसा मांगना पड़ा भारी; भीड़ ने हिंदू नाई को ईशनिंदा में पीटा
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Bangladesh: इमाम से बाल काटने का पैसा मांगना पड़ा भारी; भीड़ ने हिंदू नाई को ईशनिंदा में पीटा

Religious Persecution on Bangladeshi Minorities: भारत की तरह बांग्लादेश में हालिया दिनों अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार बढ़ गए हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीते साल 2024 में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ 100 से ज्यादा घटनाएं हुईं. इसी तरह का एक और मामला सामने आया. 

 

प्रतीकात्मक AI तस्वीर
प्रतीकात्मक AI तस्वीर

Bangladesh News Today: बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में हिंदू बुजुर्ग नाई परेश चंद्र शील (69) पर झूठे ईशनिंदा के आरोप लगाकर भीड़ ने हमला कर दिया. मिली जानकारी के मुताबिक, घटना 20 जून की दोपहर करीब 2:30 बजे की है. मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज (HRCBM) ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

HRCBM के मुताबिक, स्थानीय अल-हेरा जामा मस्जिद के कथित इमाम मोहम्मद अब्दुल अजीज बाल कटवाने शील की सैलून पर पहुंचे. इस दौरान वहां किसी मामूली बात को लेकर विवाद हो गया. आरोप है कि अजीज ने 10 टका का फीस देने से इनकार किया और बहस के बाद दुकान से बाहर निकल गया. इसके कुछ देर बाद शील पर ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए भीड़ इकट्ठा कर ली.

पुलिस की भूमिका संदिग्ध

इसके बाद भीड़ ने बिना कुछ सुने शील पर हमला कर दिया और उनके बेटे को भी पीटा गया, जो अपने पिता की जान बचाने की गुहार लगा रहा था. HRCBM के मुताबिक, शील की बहू दीप्ति रानी रॉय ने एक वीडियो में बताया कि उनके परिवार ने किसी भी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की थी.

HRCBM ने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा करने के बजाय हिंसा को बढ़ावा दिया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यहां तक कहा कि शील को उम्रभर जेल में रखने के लिए झूठे केस बनाए जाएंगे, जो बांग्लादेश के संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का खुला उल्लंघन है.

गवाहों की गवाही में विरोधाभास

इमाम अब्दुल अजीज की शिकायत में दावा किया गया कि घटना के समय उनके साथ सिर्फ मोहम्मद नजमुल इस्लाम मौजूद थे, लेकिन शिकायत में बाद में चार और लोगों को गवाह बनाया गया जिनकी मौजूदगी पर संदेह है. HRCBM ने कहा कि यह मामला झूठे ईशनिंदा आरोपों का एक और उदाहरण है, जिसका इस्तेमाल बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने के लिए किया जाता है.

संगठन का सवाल

संस्था ने सवाल उठाया, "क्या एक बुजुर्ग हिंदू नाई जो अपने ही सैलून में काम करता है, इतना साहस करेगा कि किसी धर्म या पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी करे? यह आरोप खुद में संदेहास्पद है." बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से नवंबर 2024 तक बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की 138 घटनाएं हुईं हैं, जिनमें 368 घरों पर हमले किए गए और 82 लोगों को घायल कर दिया गया.

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