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Gaza: मिस्र-इंडोनेशिया ने मिलाया हाथ, गाजा सीजफायर पर दिया जोर

Gaza Ceasefire Talks: मिस्र के राष्ट्रपति सीसी और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री प्रबोवो ने गाजा में सीजफायर, मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने 1967 की सीमाओं के आधार पर स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना का समर्थन किया और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया.

Gaza: मिस्र-इंडोनेशिया ने मिलाया हाथ, गाजा सीजफायर पर दिया जोर

Gaza Ceasefire Talks: मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल-फतह अल-सीसी ने काहिरा में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के साथ बातचीत की. मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में बताया कि उन्होंने गाजा पट्टी में विकास और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा की.

न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, सीसी ने प्रबोवो को गाजा में सीजफायर के लिए मिस्र की मध्यस्थता और वहां के लोगों को मानवीय सहायता देने के प्रयासों के बारे में बताया. मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक, "दोनों नेताओं ने गाजा में लोगों को विस्थापित किए बिना पुनर्निर्माण शुरू करने और अंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार पर स्थायी समाधान निकाले जाने की जरूरत पर जोर दिया."

1967 की सीमाओं के आधार पर हो फिलिस्तीन राज्य की स्थापना
उन्हें उम्मीद है कि ऐसा समाधान 1967 की सीमाओं पर एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की गारंटी देगा, जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम होगी. सीसी और प्रबोवो ने द्विपक्षीय संबंधों के बारे में भी बात की. बयान में कहा गया, "दोनों ने एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिससे आपसी संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया गया है. साथ ही अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की गई है."

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दोनों देशों के बीच व्यापार
मिस्र की सेंट्रल एजेंसी फॉर पब्लिक मोबिलाइजेशन एंड स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, 2024 में मिस्र और इंडोनेशिया के बीच व्यापार 1.7 बिलियन डॉलर तक पहुंचा, जो 2023 में 1.6 बिलियन डॉलर था। मिस्र का इंडोनेशिया को निर्यात 151 मिलियन डॉलर रहा, जो 2023 में 137 मिलियन डॉलर था, जबकि इंडोनेशिया से आयात 1.6 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले साल 1.5 बिलियन डॉलर था.

इस बातचीत में क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर भी चर्चा हुई, जिसमें प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान पर ध्यान दिया गया. उन्होंने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बीच "रक्षा सहयोग को बढ़ाने" के तरीकों पर भी चर्चा की.

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