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'नोबेल शांति पुरस्कार' से चूके ग़ज़ा के असली हीरो; जिस पर इजराइल ने कर दी जुल्म की इंतेहा

Gaza Real Hero Dr. Hussam Abu Safiya: डॉ. हुसाम अबू साफिया को ग़ज़ा का असली हीरो कहा जाता है, जिन्होंने ग़ज़ा में इजराइली हमलों के बावजूद बच्चों और घायल लोगों का इलाज जारी रखा. उनके 15 साल के बेटे की हत्या के बावजूद उन्होंने इंसानियत की मिसाल पेश की. नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित होने के बावजूद वे जेल में हैं. हालांकि, वह नोबेल पुरस्कार से चूक गए. 

 

इजराइली कैद में डॉ हुसाम अबू साफिया
इजराइली कैद में डॉ हुसाम अबू साफिया

Nobel Peace Prize 2025: ग़ज़ा में इजराइली नरसंहार देखकर पूरी दुनिया का दिल पसीज गया, महज कुछ दक्षिणपंथी सियासतदानों और कट्टरपंथी विचारधारा वाले शासकों को छोड़कर. इजराइली नरसंहार को रोकने के लिए और ग़ज़ा में शांति और अमन कायम करने के लिए कई लोगों ने पुरजोर कोशिश की और इसमें काफी हदतक कायम भी रहे हैं. उन्हीं में से एक हैं डॉक्टर हुसाम अबू साफिया हैं. 

नीदरलैंड की संस्था 'डॉक्टर्स फॉर ग़ज़ा' और 'द राइट्स फोरम' के जरिये नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के लिए नामांकित किए गए ग़ज़ा के बहादुर डॉक्टर हुसाम अबू साफिया इस सम्मान से भले चूक गए हों, लेकिन उन्होंने पूरी दुनिया का दिल जीत लिया है. डॉ. अबू साफिया, जो उत्तरी ग़ज़ा के कमाल अदवान अस्पताल के निदेशक हैं, ने इजराइली बमबारी और घेराबंदी के बीच भी अस्पताल नहीं छोड़ा. उन्होंने बच्चों और घायल लोगों का इलाज जारी रखा, जबकि हालात बेहद खतरनाक थे.

डॉक्टर हुसाम अबू साफिया की ग़ज़ा के मजलूमों की मदद करने का संकलप और गहरा हो गया, जब इजराइली सैनिकों ने ड्रोन हमला कर उनके 15 साल के मासूम बेटे इब्राहिम की हत्या कर दी. इस हमले के जरिये नेतन्याहू सरकार हुसाम अबू साफिया को डराना चाहती थी. हालांकि, इस घटना के बावजूद यहूदी फौज और नेतन्याहू सरकार उनके मजबूत इरादों को डिगा नहीं सकी. उन्होंने अस्पताल में रहकर घायलों की मदद कर इंसानियत का मिसाल पेश की, जो शायद इतिहास कहीं देखने को न मिले.
 
इजराइली सैनिकों ने थक हारकर डॉक्टर हुसाम अबू साफिया को बंधक बना लिया और मानव ढाल की तरह इस्तेमाल करने के बाद बिना मुकदमे के जेल में डाल दिया. फिलहाल वे अब भी इजरायली जेल में हैं, जहां इजराइली सैनिकों के जरिये लगातार उन्हें यातना दी जा रही है और उनका इलाज भी नहीं कराया जा रहा है. 

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Doctors for Gaza ने नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी को लिखे खुले पत्र में उन्हें 'असाधारण हिम्मत और अटूट मानवता का प्रतीक' बताया था. संगठन का कहना था कि यह नामांकन सिर्फ एक डॉक्टर के लिए नहीं बल्कि ग़ज़ा के उन सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सम्मान है जिन्होंने लगातार मौत के साये में ज़िंदगी बचाने का काम किया.

The Rights Forum ने कहा कि अबू साफिया के सम्मान से पूरी दुनिया को यह संदेश जाता है कि 'मुश्कलि हालात में भी इंसानियत की लौ बुझाई नहीं जा सकती है.' उनके समर्थन में चलाए गए ऑनलाइन पेटिशन पर अब तक 34,000 से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर कर चुके हैं.

बता दें, ग़ज़ा में अब तक 1,670 से ज्यादा डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिक इज़रायली हमलों में मारे जा चुके हैं, जबकि 362 स्वास्थ्यकर्मी अब भी क़ैद हैं. डॉ. हुसाम अबू साफिया नोबेल शांति पुरस्कार भले न जीत पाए हों, लेकिन उन्होंने जो बहादुरी, सेवा और इंसानियत दिखाई, उसने उन्हें दुनिया भर में 'ग़ज़ा का असली हीरो' बना दिया है.

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Raihan Shahid

रैहान शाहिद का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले से हैं. वह पिछले पांच सालों से दिल्ली में सक्रिय रूप से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हैं. Zee न्यूज़ से पहले उन्होंने ABP न्यूज़ और दू...और पढ़ें

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