परमाणु नहीं, ये है ईरान-इजरायल युद्ध की असली वजह, वजह जानकर चौंक जाएंगे
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परमाणु नहीं, ये है ईरान-इजरायल युद्ध की असली वजह, वजह जानकर चौंक जाएंगे

Iran Israel Conflict Reason: ईरान और इजरायल के बीच युद्ध की असली वजह सिर्फ परमाणु कार्यक्रम नहीं है. जानिए इस संघर्ष के पीछे छिपे हैं और कौन से बड़े कारण, जिससे बढ़ रहा है मध्य पूर्व का तनाव. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.

परमाणु नहीं, ये है ईरान-इजरायल युद्ध की असली वजह, वजह जानकर चौंक जाएंगे

Iran Israel Conflict Reason: यह पहली बार नहीं है कि इजरायल और ईरान के बीच युद्ध चल रहा है और यह पहली बार नहीं है कि अमेरिका और बेंजामिन नेतन्याहू तेहरान पर परमाणु बम बनाने का आरोप लगा रहे हैं. इससे पहले भी अमेरिका और इजरायल ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई पर परमाणु बम बनाने का इल्जाम लगाया है और ईरान पर हमला भी किया है. 1995 से 2023 तक इजरायल ने ईरान पर सीधे हमला नहीं किया और ईरान ने भी इजरायल पर हमला नहीं किया. ईरान को पिछले तीन दशकों से कमजोर करने के लिए इजरायल और अमेरिका ने कई गुप्त ऑपरेशन, साइबर हमले और लक्षित हत्याएं की हैं. 

साल 1995 में इजरायली पीएम नेतन्याहू ने ईरान के परमाणु बम बनाने की बात कही थी. इजरायली पीएम ने दावा किया था कि ईरान आने वाले 5 सालों में न्यूक्लियर बम बना लेगा. इसके बाद उन्होंने साल 1996 में दावा किया कि ईरान ने परमाणु बम बना लिया है. वहीं साल 2006 में नेतन्याहू ने दावा किया था कि ईरान एक महीने में 25 परमाणु बम बना सकता है और आने वाले दिनों में 250 परमाणु बम बना सकता है. 

इजरायली पीएम नेतन्याहू ने साल 2012 में कहा था कि ईरान परमाणु बम बनाने के बेहद करीब है और उसने 90 फीसदी यूरेनियम इकट्ठा कर लिया है और ईरान 6 महीने के अंदर परमाणु बम बना सकता है. इजरायल ने साल 2010 से लेकर 2012 तक ईरान के कई सीनियर न्यूक्लियर साइंटिस्ट की हत्या की. इनमें डॉ. मसूद अली मोहम्मदी, डॉ. मुस्तफा अहमदी रौशन और डॉ. माजिद शहरीयारी शामिल हैं. 

इन हत्याओं का सीधा आरोप इज़रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद पर लगा था. हालांकि इज़रायल ने कभी औपचारिक रूप से इन ऑपरेशनों की जिम्मेदारी नहीं ली. 2010 में ही अमेरिका और इज़रायल ने मिलकर ‘स्टक्सनेट’ नामक एक साइबर वायरस के ज़रिए ईरान की नतांज यूरेनियम संवर्धन सुविधा को भारी नुकसान पहुंचाया था. यह साइबर हमला इतना प्रभावशाली था कि इससे ईरान के सैकड़ों सेंट्रीफ्यूज बर्बाद हो गए और उसके परमाणु कार्यक्रम को सालों पीछे धकेल दिया. 

साल 2015 में इजरायल ने एक बार फिर ईरान पर संगीन इल्जाम लगाया और नेतन्याहू ने कहा था कि ईरान न्यूक्लियर बम बनाने के करीब है और कुछ ही हफ्तों में तेहरान परमाणु बम बना लेगा.वहीं, साल 2018 में इजरायली पीएम ने दावा किया था कि उनके पास इंफोर्मेशन हैं कि ईरान बहुत ही जल्द परमाणु बम बनाने वाला है. इसके बाद 27 नवंबर 2020 को ईरान के सबसे सीनियर न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसेन फखरीजादेह की हत्या कर दी गई. यह हमला तेहरान के पास हुआ था और इसे अंजाम देने के पीछे मोसाद का नाम भी सामने आया था. यह हमला तकनीकी रूप से बहुत उन्नत माना गया था और इसमें रिमोट कंट्रोल वाले हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. हालांकि, इन सभी हमलों में इजरायल ने न तो यह स्वीकार किया है और न ही इनकार किया है कि उसने ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की हत्या की.

साल 2025 पर नेतन्याहू ने लगाया था ईरान पर इल्जाम
इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ईरान पर परमाणु बम बनाने का आरोप लगाते हुए 13 जून 2015 को 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' के तहत पहली बार ईरान के सैन्य और न्यूक्लियर साइट्स पर खुलेआम हवाई हमला किया था. यह हमला ईरान की राजधानी तेहरान समेत कई अहम शहरों पर किया गया था, जिसमें ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (आईआरजीसी) के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी, परमाणु वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद तेहरानची और सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी जैसे शीर्ष अधिकारी मारे गए थे. इस हमले के बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल पर भीषण हवाई हमले किए हैं. तेहरान के हमले में इजरायल के कई शहर खंडहर में तब्दील हो चुका है. 

अगर ईरान नहीं बना रहा है परमाणु तो इजरायल क्यों कर रहा है हमला
ईरान और इजराइल के बीच चल रहे तनाव को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं. ईरान का कहना है कि वह कभी परमाणु बम बनाना नहीं चाहता था. उसका दावा है कि इजराइल और अमेरिका मिलकर उसे कमजोर करने के लिए झूठे बहाने बनाकर हमला कर रहे हैं. साथ ही, सोशल मीडिया पर लोग इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर भी सवाल उठा रहे हैं. कई यूजर्स का कहना है कि नेतन्याहू अपनी सरकार को बचाने के लिए बार-बार झूठ बोल रहे हैं और ईरान को बदनाम कर रहे हैं. उनका दावा है कि नेतन्याहू की असली मंशा अपने राजनीतिक फायदे के लिए माहौल को भड़काना है.

हमास के हमले से इजरायल की खुल गई पोल
वहीं, मिडिल ईस्ट मामलों के जानकार भी मानते हैं कि हमास, हिजबुल्लाह और हूती जैसे संगठनों द्वारा इजराइल पर हाल ही में किए गए हमलों ने इजराइल की सुरक्षा व्यवस्था की सच्चाई को उजागर कर दिया है. दुनिया भर में तारीफ पाने वाले आयरन डोम और एयर डिफेंस सिस्टम इन हमलों के सामने कमजोर नजर आए. चूंकि ये तीनों संगठन ईरान के करीबी माने जाते हैं, इसलिए नेतन्याहू अब ईरान पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं और सीधे हमला कर रहे हैं. जानकारों का मानना ​​है कि यह हमला सिर्फ सुरक्षा कारणों से नहीं, बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक कारणों से भी किया जा रहा है.

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इजरायल को है इस बात का खतरा
कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि इजरायल का ईरान पर हमला करने के पीछे एक बड़ी वजह ईरान की सैन्य क्षमताएं भी हैं. उनका दावा है कि ईरान लगातार आधुनिक और खतरनाक हथियारों का निर्माण कर रहा है, जो भविष्य में इजरायल के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं. भले ही ईरान फिलहाल परमाणु बम न बना रहा हो, लेकिन वह मिसाइल तकनीक, ड्रोन, और अन्य हाईटेक हथियारों पर तेजी से काम कर रहा है. इन हथियारों की पहुंच और मारक क्षमता इतनी अधिक है कि अगर भविष्य में इनका इस्तेमाल हुआ तो इजरायल को बड़ा नुकसान हो सकता है. 

भविष्य बचाने के लिए लड़ रहा है इजरायल
इसी आशंका के चलते इजरायल और अमेरिका पहले ही ईरान की ताकत को कमज़ोर करने की कोशिश में लगे हैं उनका मकसद है कि ईरान की सैन्य क्षमता को समय रहते खत्म किया जाए, ताकि भविष्य में वह किसी भी तरह की बड़ी चुनौती न बन सके. एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि यह एक तरह की "रोकथाम की रणनीति" (pre-emptive strategy) है, जिसमें पहले हमला करके दुश्मन की ताकत को कमजोर कर दिया जाता है. इसके पीछे डर यह है कि अगर ईरान पूरी तरह से हथियारों से लैस हो गया तो उसे रोकना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए इजरायल-ईरान के बीच यह युद्ध सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं, बल्कि भविष्य की संभावित खतरनाक स्थितियों को टालने की तैयारी भी मानी जा रही है.

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ईरान-इजरायल कभी थे जिगरी दोस्त
ईरान और इजरायल कभी अच्छे दोस्त थे, लेकिन 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद वहां एक नई सरकार बनी जो इजरायल की कट्टर विरोधी बन गई. आज भी ईरानी सरकार इजरायल को दुश्मन देश मानती है और उसे नष्ट करना चाहती है. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजराइल को "कैंसर" बताया है और इसे मिटा देने की कसम खाई. दूसरी ओर, इजरायल को लगता है कि ईरान उसके लिए एक बड़ा खतरा है, क्योंकि ईरान हिजबुल्लाह और हमास जैसे अपने दुश्मन संगठनों को पैसा और हथियार देता है. ईरान ऐसे उग्रवादी समूहों को बढ़ावा देता है जो इजरायल को नष्ट करना चाहते हैं. इजरायल का यह भी आरोप है कि ईरान चुपचाप परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है, हालांकि ईरान इससे इनकार करता है.

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