भारत से मात खाकर भी फील्ड मार्शल बने पाक सेनाध्यक्ष, शर्म बेच कर तमगे ले गया असीम मुनीर!
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भारत से मात खाकर भी फील्ड मार्शल बने पाक सेनाध्यक्ष, शर्म बेच कर तमगे ले गया असीम मुनीर!

Pakistan Army News: भारत ने पहलगाम की घटना के बाद आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की और पाकिस्तान में कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. भारतीय फौज ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के पाकिस्तान और आतंकियों को कई महाज पर घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. इस हार के बावजूद के पाकिस्तान अपने सेना प्रमुख को तमगा दे रहा है. 

 

पाकिस्तानी आर्मी चीफ को मिला हार का तमगा
पाकिस्तानी आर्मी चीफ को मिला हार का तमगा

Pakistan News Today: पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया. भारतीय फौज ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिय पाकिस्तान में कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया है. इसके बाद पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन करते हुए जम्मू कश्मीर में कई जगह गोलीबारी और रॉकेट दागे, लेकिन भारतीय फौज ने इन हमलों को नाकाम बना दिया. इसमें पाकिस्तान के कई कुख्यात आतंकी मारे गए और कई महाज पर हारता देख सीजफायर की मांग करने लगे.

हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने भी अजीब कारनामा पेश किया है और हार के बाद इनाम बांट रही है. पाकिस्तान में सेना और सरकार की तानाशाही ऐसी कि वहां की सेना एक भी जंग नहीं जीत पाई, लेकिन उनके सेनाध्यक्षों के कंधों और वर्दी पर सितारे सजे होते हैं. ऐसा ही कुछ इनाम सैयद असीम मुनीर को भी मिला है.

शाहबाज शरीफ की अगुवाई वाली संघीय मंत्रिमंडल नेफ ऑफ आर्मी स्टाफ सैयद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट करने को मंजूरी दी है. यानी भारत से पीटने का इनाम असीम मुनीर के सीने पर तमगे के रूप में चमकने वाला है. पाकिस्तान के इतिहास में अयूब खान के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाले असीम मुनीर दूसरे शख्स हैं. 

जनरल असीम मुनीर को ऑपरेशन 'बुनयान उल मरसूस' की अगुवाई करने और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंध के लिए पाकिस्तान के संघीय मंत्रिमंडल के जरिये उन्हें फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट किया गया है. पाकिस्तान के इतिहास में इसे एक नायाब कामयाबी के तौर पर देखा जाता है. इससे पहले यह सम्मान अयूब खान को मिला है, जिनकी कारस्तानियों से तो पूरे पाकिस्तान का इतिहास शर्मिंदगी से भरा है.

दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने असीम मुनीर को प्रमोट करने का प्रस्ताव पेश किया था, जिसे वहां की संघीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. पाकिस्तान की सरकार ने असीम मुनीर को यह इनाम 6 और 7 मई की रात को भारत के जरिये किए गए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद पाकिस्तान की तरफ से किए गए भारत पर हमले और इसमें अपनी तरफ से खुद जीत की घोषणा करने, यानी अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने के तौर पर दिया गया है. 

पाकिस्तान की अवाम को झूठी जीत का चूरन चटाने वाली शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर लगातार इस बात का दावा करते रहे हैं कि उनके अद्वितीय सैन्य नेतृत्व की वजह से उन्होंने भारत को झुकने पर मजबूर कर दिया, जबकि पाकिस्तान के खोखले दावों की पोल एक-एक कर भारत की सरकार ने खोल दी और पूरी दुनिया को सबूतों के साथ दिखाया कि कैसे पाकिस्तान की हालत भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई की वजह से पतली हो गई थी.

पाकिस्तान को शर्म भी नहीं आती, भारतीय फौज से इतना बुरी हार झेलने के बाद भी वहां की कैबिनेट ऐतिहासिक जीत का दावा करते हुए जनरल असीम मुनीर के शानदार सैन्य नेतृत्व, बहादुरी और पाकिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता को मान्यता देने के लिए यह प्रमोशन दिया है. कैबिनेट के सदस्यों ने दुश्मन को निर्णायक रूप से हराने के लिए सशस्त्र बलों की तारीफ की है और हर मोर्चे पर नागरिकों और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में सेना के कोशिशों की सराहना की है. कैबिनेट ने संघर्ष के शहीदों के लिए फातिहा भी पढ़ा.

आतंकियों के मारे जाने पर पाकिस्तानी झंडे में उनके शवों को लपेटकर उनकी शव यात्रा निकालने और उनकी कब्र पर फातिहा पढ़ने वाला देश अब तक तो झूठी जीत का जश्न ही मना रहा था. अब अपने हार खाए सेनाध्यक्ष के सीने पर जीत के तमगे सजाने के साथ ही उसे प्रमोशन भी दे रहा है.

पाकिस्तान में इससे पहले जिस अयूब खान को यह सम्मान मिला था, उसका इतिहास भी उतना ही काला रहा है. अयूब खान को पाकिस्तान के पहले स्वदेशी सेना प्रमुख होने का सौभाग्य प्राप्त था, उसने 1951 से 1958 तक पाक सेना की जिम्मेदारी संभाली. जबकि 1958 में अयूब खान ने तत्कालीन राष्ट्रपति इस्कंदर अली मिर्जा को पद से बर्खास्त कर या कहें कि तख्ता पलट कर सत्ता हथिया ली. 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बारे में सभी जानते हैं कि यह सोच अयूब खान की थी, लेकिन भारत से करारी हार के बाद पाकिस्तान में उनके खिलाफ बगावत हो गई और 1969 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. 

अयूब खान की पढ़ाई-लिखाई एएमयू से हुई और उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन की ओर से युद्ध किया. विभाजन के बाद वो पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए. अयूब खान के नाम पाकिस्तान का पहला सैन्य शासक बनने का तमगा है. उनके शासन में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ जनता सड़क पर उतर आई थी. 1965 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने कथित धांधली कर जिन्ना की बहन फातिमा को हराया था. 

साल 1968-69 तक पूरे पाकिस्तान में अयूब खान के खिलाफ खूब आंदोलन हुए और इसी बीच उनको हार्ट अटैक आ गया, फिर पैरालिसिस अटैक आया. इसकी वजह से वह चलने फिरने लायक भी नहीं रहे और चंद कदम की दूरी तय करने के लिए व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ता था. मतलब आज तक जितने भी जंग हुए, उसमें भारतीय सेना के हाथों करारी हार के लिए जिम्मेदार रहे पाकिस्तानी सेनाध्यक्षों की हमेशा ही मौज रही. वह जीत का झूठा दावा करते हुए चमचमाते तमगों से अपने सीनों को सजाते रहे हैं. 

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