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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर लगा डेंट, मल्टीनेशन कंपनियों ने देश को कहा अलविदा!

Companies Leaving Pakistan: पड़ोसी देश पाकिस्तान इस समय चौतरफा मार झेल रहे हैं. एक तरफ पाकिस्तान में प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार, मंहगाई और आतंकी घटनाओं से दो चार है. आलम यह है कि भारी अनिश्चितताओं के बीच बाजार से इंवेस्टर्स ने हाथ खींचना शुरू कर दिया है और कई मल्टीनेशन कंपनियां कारोबार बंद कर जा रही हैं. 

 

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

Pakistan Financial Crisis: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. देश की सरकारी और कारोबारी नीतियों ने ऐसा माहौल बना दिया है कि बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अब पाकिस्तान छोड़कर जा रही हैं. यह तस्वीर इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान में कारोबार करना मुश्किल होता जा रहा है और निवेशकों का धैर्य धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. 

पाकिस्तान में इस समय भ्रष्टाचार, आतंकवाद और नियामक अराजकता ने इन कंपनियों के लिए पाकिस्तान में कारोबार को चुनौतीपूर्ण बना दिया है. पाकिस्तान में भ्रष्टाचार और आतंक की जड़े काफी गहरी हैं. लंबे समय तक देश पर राज करने वाली शरीफ फैमिली, आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान समेत कई दिग्गज भ्रष्टाचार के मामले में जेल जा चुके हैं या जेल में हैं

कमोबेश यही हाल पाकिस्तान का आतंक के मोर्चे पर भी है. आतंकियों को पनाह देने वाला देश पाकिस्तान अब खुद इसका दंश झेल रहा है. मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक फंडिंग के राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन (NRA) एजेंसी ने पाकिस्तान में 87 आतंकी संगठनों के होने का दावा किया है, जिसमें से 41 आतंकी संगठन इस समय एक्टिव हैं. पाकिस्तान में कारोबार चौपट करने में भ्रष्टाचार और आतंक का बहुत बड़ा रोल रहा है. 

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डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां लगातार पाकिस्तान छोड़ रही हैं. पाकिस्तान दुनिया का पांचवां सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. यहां 24 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद कंपनियां व्यवसाय बंद करके बाहर जा रही हैं. हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में अपना संचालन बंद कर दिया. इसके बाद यामाहा और प्रॉक्टर एंड गैंबल ने भी देश छोड़ने का फैसला किया. 

इसके अलावा शेल (एलएनजी और खुदरा ईंधन के कारोबार से), उबर और फाइजर ने भी पाकिस्तान में अपनी उपस्थिति समाप्त कर दी. एक्सपर्ट के मुताबिक, इसकी मुख्य वजह आर्थिक अस्थिरता, तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति, मुद्रा का अवमूल्यन, नीति की अनिश्चितता और सुरक्षा संबंधी मुद्दे हैं. ग्लोबल फाइनेंस एक्सपर्ट यूसुफ नजर बताते हैं कि कंपनियां पाकिस्तान के लॉन्ग टर्म बाजार की क्षमता का आंकलन कर रही हैं और इसी आधार पर यह कदम उठा रही हैं.

विश्लेषकों का कहना है कि कुछ कंपनियों का बाहर जाना सिर्फ वैश्विक रणनीतियों का हिस्सा हो सकता है. कई कंपनियां दुबई और सिंगापुर जैसे क्षेत्रीय केंद्रों में अपने संचालन को ट्रांसफर कर रही हैं. यह कदम पाकिस्तान में निवेशकों के विश्वास की कमी और भारी भरकम टैक्स सिस्टम की वजह से मुनाफे में बाधा को दर्शाता है.

एक्सपर्ट ने यह भी बताया कि इस प्रवृत्ति में सीधे पलायन के बजाय स्वामित्व परिवर्तन शामिल है. सऊदी अरामको, गनवोर ग्रुप और बैरिक गोल्ड जैसी कंपनियां खनन और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश कर पाकिस्तान में अंतराल को भरने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि, यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान में कारोबार करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है और देश का कारोबारी माहौल विश्वस्तरीय मानकों से बहुत पीछे है.

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