अफगानिस्तान की हार से सबक लेगा अमेरिका? पेंटागन करेगा इस मामले की जांच
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अफगानिस्तान की हार से सबक लेगा अमेरिका? पेंटागन करेगा इस मामले की जांच

Pentagon Afghanistan War Review: अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के चार साल बाद, पेंटागन अब पूरे युद्ध की समीक्षा कर रहा है. इस पुनर्मूल्यांकन का उद्देश्य वियतनाम और अफगान युद्धों से सबक लेकर भविष्य की रणनीतियों को बेहतर बनाना है.

अफगानिस्तान की हार से सबक लेगा अमेरिका? पेंटागन करेगा इस मामले की जांच

Pentagon Afghanistan War Review: अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी को चार साल हो चुके हैं, लेकिन अब अमेरिका ने उस फैसले और पूरे युद्ध की री-रिव्यू करने का फैसला किया है. यह जानकारी TOLO न्यूज की एक रिपोर्ट में दी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) ने फैसला लिया है कि अफगानिस्तान और वियतनाम जैसे लंबे युद्धों से क्या सबक सीखे जा सकते हैं, इस पर ध्यान दिया जाएगा. इस रिव्यू का मकसद यह है कि भविष्य में वैसी ही गलतियां फिर से न दोहराई जाएं.

अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता सीन पार्नेल ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि जुलाई से एक स्पेशल जांच टीम अपना काम शुरू करेगी, जो अफगानिस्तान में अमेरिका की 20 साल की सैन्य मौजूदगी के परिणामों की जांच करेगी.

पेंटागन के प्रवक्ता ने क्या कहा?

पेंटागन के प्रवक्ता ने कहा, "तो, मेरे और विभाग के मन में यह सवाल है कि क्या हुआ? जैसे, हम एक विभाग के रूप में यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि वियतनाम में जैसा कुछ हुआ, और फिर अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ, वह फिर कभी न हो? वियतनाम में हेलीकॉप्टर और दूतावास, अफगानिस्तान में हेलीकॉप्टर और दूतावास, यह वह वांछित अंतिम स्थिति नहीं है जिसकी हम उन संघर्षों में तलाश कर रहे थे."

उन्होंने कहा कि यह जांच केवल ज़मीनी स्तर की कार्रवाई तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इसमें बड़े फैसलों और राष्ट्रपति स्तर पर लिए गए निर्णयों की भी समीक्षा होगी. TOLO न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी प्रक्रिया भविष्य में अमेरिका की सैन्य नीति और विदेशों में हस्तक्षेप को लेकर दिशा तय कर सकती है.

सियासी एक्सपर्ट ने क्या कहा?

राजनीतिक विश्लेषक फजल-उर-रहमान ओरिया ने अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान युद्ध की समीक्षा को एक अच्छा और जरूरी कदम बताया है. उन्होंने कहा, "अब जब अमेरिका अपनी 20 साल की सैन्य मौजूदगी और नाकामी की जांच कर रहा है, तो यह एक सकारात्मक संकेत है." उनके मुताबिक, यह समीक्षा अमेरिका को यह समझने में मदद करेगी कि बल और हिंसा के बजाय अफगानिस्तान के साथ बातचीत और आर्थिक सहयोग का रास्ता बेहतर है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से अमेरिका को यह सबक मिलेगा कि भविष्य में अफगानों के खिलाफ हथियारों का नहीं, बल्कि संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाना चाहिए.

तालिबान ने अभी तक नहीं दिया बयान

सैन्य विश्लेषक सादिक शिनवारी ने अमेरिका और नाटो के अफगानिस्तान में 20 साल के हस्तक्षेप पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, "पिछले दो दशकों में अमेरिका और नाटो से अफगानिस्तान में कई गलतियां हुईं. अब अगर वे सुधार चाहते हैं, तो उन्हें बातचीत और शांति का रास्ता अपनाना चाहिए." हालांकि, अभी तक तालिबान की अंतरिम सरकार (इस्लामिक अमीरात) की ओर से इस अमेरिकी समीक्षा पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि अमेरिका ने 2001 में अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध शुरू किया था, जो 2021 में अमेरिकी सेनाओं की वापसी के साथ खत्म हुआ लेकिन यह वापसी काफी अराजक और विवादित रही, क्योंकि तालिबान ने बहुत तेजी से अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा कर लिया था. अब अमेरिका यह समझना चाहता है कि इतने सालों में क्या सही हुआ, क्या गलत हुआ, और किस तरह की रणनीति भविष्य में बेहतर हो सकती है.

 

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