International Palestinian Solidarity Day: हर साल 29 नवंबर को फलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए 'इंटरनेशनल फलस्तीनी एकजुटता दिवस' मनाया जाता है. इस खास मौके एक दिन पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने फलस्तीन के लोगों के लिए बड़ा वादा किया है. पीएम मोदी ने फलस्तीनियों के नाम लेटर लिखकर वहां के डेवलेपमेंट के लिए भारत के मुसलसल हिमायत का वादा किया है.


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पीएम मोदी ने अपने लेटर के जरिए से कहा, "हम फलस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता के लिए इंटरनेशनल डे का जश्न मना रहे हैं. मैं फलस्तीन के लोगों के डेवलेपमेंट के लिए भारत के निरंतर समर्थन को दोहराता हूं. फलस्तीनी लोगों की ख्वाहिशों को पूरा करने में भारत दृढ़ता के साथ खड़ा है. भारत हमेशा फलस्तीनी लोगों के डेवलेपमेंट में हिस्सेदार रहा है. भारत इस सफर में उनके साथ खड़ा रहेगा, जिसमें फलस्तीनी लोगों की जरूरतों और प्राथमिकताओं के बुनियाद पर अन्य क्षेत्रों में फलस्तीनी लोगों पर केंद्रित परियोजनाओं का अमल करना भी शामिल है."


PM मोदी ने यूनाइटेड नेशन से की ये अपील
पीएम मोदी ने आगे कहा, "क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए यूनाइटेड नेशन को हमारा निरंतर समर्थन फलस्तीनी लोगों के जीवन में सार्थक बदलाव लाने की हमारी इच्छा को प्रमाणित करता है. इलाके में चल रहे संघर्ष के परिणामस्वरूप दुखद जीवन की हानि हुई है और फलस्तीन और पश्चिम एशिया क्षेत्र के लोगों के लिए भारी पीड़ा हुई है. भारत मौजूदा सुरक्षा और मानवीय स्थिति को लेकर बहुत चिंतित है. भारत फौरन सीजफायर, आतंकवाद के सभी कारकों को खत्म करने, बंधकों की रिहाई और फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता की निरंतर आपूर्ति की अपील करता है."


PM मोदी ने  टू स्टेट पॉलिसी का किया जिक्र
पीएम मोदी ने आगे भारत की टू स्टेट पॉलिसी की बात दोहराते हुए कहा, "भारत को यकीन है कि संवाद और डिप्लोमेसी परामनेंट और शांतिपूर्ण समाधान की कुंजी है. भारत ने हमेशा बातचीत के जरिए से टू स्टेट पॉलिसी के बीच चल रहे विवाद के हल का समर्थन किया है, जिससे एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फलस्तीन राज्य की स्थापना हो सके, जो इसराइल के साथ शांति से रह सके. मैं भारत के लोगों के साथ मिलकर फलस्तीनी लोगों के शांतिपूर्ण और बेहतर फ्यूचर की कामना करता हूं."


46 साल से मनाया जा रहा है ये खास दिन
बता दें कि, 'इंटरनेशनल फलस्तीनी एकजुटता दिवस' हर साल 29 नवंबर को मनाया जाता है. इस खास मौके लिए यह तारीख 1947 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly ) द्वारा प्रस्ताव 181 के पारित होने की याद में चुनी गई थी, जिसमें फलस्तीन को यहूदी और अरब राज्यों में अलग करने का प्रस्ताव रखा गया था. यह खास दिन 1978 से मनाया जा रहा है और इसका मकसद फलस्तीनी लोगों के सेल्फ डिटरमिनेशन और इंटरनेशनल कानून के तहत उनके अधिकारों के लिए चल रहे संघर्षों को उजागर करना है.