सिंधु नहर परियोजना पर भड़की पीपीपी; शहबाज सरकार को दे डाली सत्ता बाहर करने की चेतावनी
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सिंधु नहर परियोजना पर भड़की पीपीपी; शहबाज सरकार को दे डाली सत्ता बाहर करने की चेतावनी

Pakistan Politrics: पाकिस्तान में किस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की गठबंधन वाली सरकार सिंधु नदी नहर परियोजना को लेकर आमने सामने आ गई हैं. पीपीपी चीफ बिलावल भुट्टो ने एक सभा को संबोधित करते हुए चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार हमारी बात नहीं मानती है तो हम भी हार मानने को तैयार नहीं हैं.

 

पीपीपी चीफ बिलावल भुट्टो
पीपीपी चीफ बिलावल भुट्टो

Pakistan News Today: सिंधु नदी नहर परियोजना पाकिस्तान की संघीय सरकार की 'गले की फांस' बन गई है. सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने धमकी दी है कि अगर इस प्रोजेक्ट को स्थगित नहीं किया गया तो वह सरकार से बाहर हो जाएगी. हैदराबाद में शुक्रवार (18 अप्रैल) की देर रात हटरी बाईपास मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने शहबाज सरकार को यह चेतावनी दी.

बिलावल भुट्टों ने दी चेतावनी

बिलावल भुट्टो ने कहा कि मुझे लगा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, ऐसी प्रतिक्रिया देखने के बाद इस परियोजना से दूर रहेंगे क्योंकि उन्हें पता है कि पीपीपी के समर्थन के बिना वे न तो असेंबली सेशन चला सकते हैं और न ही बजट पारित कर सकते. उन्होंने आगे कहा, "हालांकि ऐसा लगता है कि वह इस परियोजना को बंद करने के लिए तैयार नहीं हैं. अगर ऐसा है, तो हम भी हार मानने को तैयार नहीं हैं."

गठबंधन सहयोगी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PMLN) पर निशाना साधते हुए उन्होंने दावा किया कि उनकी परियोजनाएं लगातार कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचा रही हैं. बिलावल भुट्टो ने कहा, "पार्टी समर्थित हर पहल किसान विरोधी है."

पाकिस्तान करेगा 6 नहरों का निर्माण

पाकिस्तानी सरकार ने ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव के तहत 3.3 अरब डॉलर की लागत से छह नहरों का निर्माण करने की योजना बनाई है, जिससे दक्षिण पंजाब में 12 लाख एकड़ कथित बंजर भूमि की सिंचाई की जाएगी. हालांकि, सिंध प्रांत ने इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया है. सिंध सरकार को आशंका है कि इन नहरों के निर्माण से सिंधु नदी से उसके हिस्से का पानी कम हो जाएगा.

सरकार के फैसले के विरोध में प्रदर्शन

इस परियोजना के खिलाफ सिंध में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक दलों, नागरिक संगठनों, व्यापार संघों और साहित्यिक संस्थानों के सदस्य सरकार के इस फैसले के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की है कि 'पानी को बहने दो' और इस परियोजना को तत्काल रद्द किया जाए. उन्होंने इसे सिंध के अधिकारों का उल्लंघन और जनता-विरोधी नीति करार दिया.

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