Vadodara Engineer Deatin in Qatar: बड़ोदरा के एक इंजीनियर को कुवैत के अधिकारियों ने एक जनवरी को हिरासत में ले लिया था. इंजीनियर से मिलने के लिए उनके माता-पिता कतर गए, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी. पीड़ित परिवार ने इस मामले में अब प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की है.
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Gujarat News Today: गुजरात के वडोदरा के रहने वाले भारतीय नागरिक अमित गुप्ता को डेटा चोरी के आरोप में कतर सरकार ने हिरासत में ले लिया है. जिसके बाद अब भारत सरकार ने अमित गुप्ता को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है. इस मामले में पीड़ित के परिचित लोगों ने यह जानकारी दी.
आईटी फर्म टेक महिंद्रा के वरिष्ठ कर्मचारी अमित गुप्ता को कतर के अधिकारियों ने 1 जनवरी को हिरासत में लिया था, उनकी मां पुष्पा गुप्ता ने वडोदरा में मीडिया को इसकी जानकारी दी थी. इस मामले में अमित गुप्ता के पिता ने बताया कि उन्हें कतर की राज्य सुरक्षा के जरिये हिरासत में लिया गया था. नाम न बताने की शर्त पर बताया गया कि हिरासत की जानकारी कतर के भारतीय दूतावास को है.
अमित गुप्ता के परिवार ने दावा किया है कि वह निर्दोष हैं और उन पर डेटा चोरी का झूठा आरोप लगाया गया है. परिवार अमित गुप्ता के तत्काल रिहाई की मांग कर रहा है और प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहा है. गुप्ता के खिलाफ मामले या आरोपों का विवरण दिए बिना एक व्यक्ति ने बताया, "हमारा दूतावास मामले में हर संभव सहायता प्रदान करना जारी रखता है और मामले पर बारीकी से नजर रख रहा है."
लोगों ने बताया कि दूतावास अमित गुप्ता के परिवार, उनके वकील और कतर के अधिकारियों के साथ नियमित रूप से संपर्क में है. अमित गुप्ता की मां ने कहा कि वह कतर गई थीं और वहां भारतीय राजदूत से मिली थीं. उन्होंने राजदूत के हवाले से कहा कि अमित गुप्ता के मामले में अब तक कोई "सकारात्मक प्रतिक्रिया" नहीं मिली है.
भारतीय जनता पार्टी की सांसद हेमंग जोशी ने मीडिया को बताया कि वडोदरा निवासी गुप्ता पिछले 10 सालों से कतर में टेक महिंद्रा के लिए काम कर रहे थे. हेमंग जोशी ने कहा कि उन्हें कतर के सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में लिया है. उन्होंने बताया कि "उनके माता-पिता एक महीने के लिए कतर गए थे और उनसे मिलने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए."
कतर में किसी भारतीय को हिरासत में लेने से जुड़ा यह 2022 के बाद से दूसरा मामला है. इससे पहले उच्च पदस्थ अधिकारियों सहित आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को 2022 में हिरासत में लिया गया था और साल 2023 में मौत की सजा सुनाई गई. बाद में कतर की एक अदालत ने उनकी सजा कम कर दी थी और फरवरी 2024 में कतर के अमीर के आदेश पर उन्हें रिहा कर दिया गया था.