बीआरओ के चीफ इंजीनियर ने ब्रिगेडियर केपी पुरुषोत्तम ने बताया, "ट्रेफिक की आवाजाही को कंट्रोल करने के लिए बाज़ाप्ता तौर पर वज़ीरे आला दफ्तर और 3 अक्टूबर को मक़ामी खत लिखा गया था."
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रोहतांग: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में बने 9.02 किलोमीटर लंबे अटल टनल में इफ्तेताही तक़रीब के बाद से ही हादसों का सिलसिला शुरु हो गया है. दुनिया के सबसे लंबे टनल में इफ्तेताह के बाद से ही टूरिस्ट आने लगे हैं लेकिन वो कानून की ख़िलाफवर्ज़ी कर रहे हैं जिसके चलते वे हादसे हो रहे हैं.
वज़ीरे आज़म नरेंद्र मोदी ने तीन अक्टूबर को रोहतांग दर्रे के नीचे सुरंग का इफ्तेताह किया था लेकिन उसके अगले दिन ही एक दूसरे से आगे निकलने की होड़, लापरवाही से ड्राइविंग करने और सेल्फी लेने के चक्कर मे तीन हादसे हो चुके हैं.
मक़ामी इंतेज़ामिया ने नहीं की थी पुलिस की तैनाती
सरहदी रोड तंज़ीम (BRO) ने एक दहाई में सख्त मेहनत के बाद 10 हज़ार फीट की ऊंचाई पर सुरंग की तामीर की है. बीआरओ ने पीर को मक़ामी अफसरान को टनल में मोटर ड्राईवरों की निगरानी के लिए पुलिस तैनात नहीं करने का इल्ज़ाम लगाया है. हालांकि बीआरओ के ऐतराज़ के बाद रियासती हुकूमत ने पुलिस को तैनात कर दिया है.
बीआरओ के चीफ इंजीनियर ने ब्रिगेडियर केपी पुरुषोत्तम ने बताया, "ट्रेफिक की आवाजाही को कंट्रोल करने के लिए बाज़ाप्ता तौर पर वज़ीरे आला दफ्तर और 3 अक्टूबर को मक़ामी खत लिखा गया था." ख़त में वज़ीरे आज़म के सलाहकार, प्राईवेट सेक्रेटरी से गुज़ारिश करते हुये पुलिस की मांग की गई थी. इसके साथ ही बीआरओ ने सिविल अफसरान से सुरंग में फायर ब्रिगेड तैनात करने के लिये भी कहा है.
टनल में एक दिन में हुए तीन हादसे
ब्रिगेडियर केपी पुरुषोत्तम ने बताया, " वज़ीरे आज़म ने 3 अक्टूबर को टनल का उद्घाटन किया और उसके बाद एक दिन में ही तीन हादसे हुए. टनल के अंदर टूरिस्ट और ड्राईवर ज़ाब्तों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. सीसीटीवी से पता चला है कि लोगों नें गाड़ी से सेल्फी लेने के लिए टनल के अंदर अपनी गाड़ियों को रोक दिया, जबकि टनल के अंदर किसी को गाड़ी खड़ी करने की इजाज़त नहीं है." उन्होंने बताया कि सुरंग को डबल लेन किए जाने के बावजूद ओवरटेक करने की इजाज़त भी नहीं है.
अटल सुरंग के फायदे
अटल सुरंग की तामीर सरहद सड़क तंज़ीम (बीआरओ) के हाथों अमल में आयी. अटल टनल के ज़रिए सभी मौसम में लाहौल और स्पीति वादी का दूर दराज़ इलाक़ों से राब्ता बना रहेगा. इससे मनाली और लेह की दूरी भी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी. वज़ारते दिफ़ा के मुताबिक़, अटल सुरंग तक़रीबन 9 किलोमीटर लंबी है. यह करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर बनायी गयी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है. इससे पहले ठंड के मौसम में इन इलाक़ों का राब्ता मुल्क के दीगर हिस्सों से छह महीने तक पूरी तरह खत्म हो जाता था.
क्या है सुरंग की तारीख़
रोहतांग दर्रे के नीचे स्ट्रैटिजिक लिहाज़ से अहमियत रखने वाली सुरंग बनाए जाने का फैसला 03 जून 2000 को लिया गया था. यह साबिक़ वज़ीरे आज़म अटल बिहारी वाजपेयी की अहदे हुकूमत के दौरान तय हुआ था. अटल सुरंग के जुनूबी हिस्से को जोड़ने वाली सड़क की बुनियाद 26 मई 2002 को रखी गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में रोहतांग टनल का इफ़्तेताह किया था. अटल सुरंग के दोनों किनारों पर सड़क तामीर का काम 15 अक्टूबर 2017 को पूरा हुआ था. हिमाचल प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक में 20 अगस्त 2018 को रोहतांग टनल का नाम साबिक़ वज़ीरे आज़म अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने की तजवीज़ दी गयी थी.बाद में इसे मरकज़ी सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया था.
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