लोकसभा चुनाव के रिजल्ट से क्यों डरा हुआ है न्यायधीशों का समूह; ECI, SC और राष्ट्रपति से की ये मांग
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लोकसभा चुनाव के रिजल्ट से क्यों डरा हुआ है न्यायधीशों का समूह; ECI, SC और राष्ट्रपति से की ये मांग

7 ex HC judges write to Prez: रिटायर जजों ने भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और मुख्य चुनाव आयुक्त से यह भी आग्रह किया कि यदि वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार लोगों का जनादेश खो देती है तो सत्ता का सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करके संविधान को बरकरार रखा जाए.

 

लोकसभा चुनाव के रिजल्ट से क्यों डरा हुआ है न्यायधीशों का समूह; ECI, SC और राष्ट्रपति से की ये मांग

7 ex HC judges write to Prez: लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने से पहले हाई कोर्ट के 7 पूर्व न्यायाधीशों ने राष्ट्रपति को लेटर लिखकर खरीद फरोख्त को रोकने और संविधान को बरकरार रखने का अग्रह किया है. उन्होंने प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने लेटर में "स्थापित लोकतांत्रिक मिसाल" का पालन करने और 2024 के आम चुनावों में त्रिशंकु स्थिति होने पर खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए और सरकार बनाने के लिए संसद में पूर्व गठबंधन को आमंत्रित करने का आग्रह किया गया है.

रिटायर जजों ने भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और मुख्य चुनाव आयुक्त से यह भी आग्रह किया कि यदि वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार लोगों का जनादेश खो देती है तो सत्ता का सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करके संविधान को बरकरार रखा जाए.

इस खुले पत्र पर मद्रास हाई कोर्ट के छह पूर्व न्यायाधीशों जी एम अकबर अली, अरुणा जगदीसन, डी हरिपरन्थमन, पी आर शिवकुमार, सी टी सेल्वम, एस विमला और पटना हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश अंजना प्रकाश के हस्ताक्षर हैं.

न्यायधीशों ने की है ये मांगें
उन्होंने कहा कि "वास्तविक चिंता" है कि यदि वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार लोगों का जनादेश खो देती है, तो सत्ता परिवर्तन सुचारू नहीं हो सकता है और संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है. पूर्व सिविल सेवकों के संवैधानिक  समूह (CCG) के 25 मई के खुले बयान से सहमति जताते हुए, पूर्व न्यायाधीशों ने कहा, "हम  पूर्व सिविल सेवकों के बयान से सहमत हैं" 'त्रिशंकु संसद की स्थिति में, कठिन जिम्मेदारियां भारत के राष्ट्रपति के कंधों पर रखा जाए."

लेटर में सीजेआई और सीईसी से ऐसी हालत में संविधान को बरकरार रखने और सत्ता का सुचारू परिवर्तन सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया. 3 जून को जारी लेटर में कहा गया है, "हमें यकीन है कि वह पहले चुनाव पूर्व गठबंधन को आमंत्रित करने की स्थापित लोकतांत्रिक मिसाल का पालन करेंगी जिसने भी सबसे ज्यादा सीटें हासिल कीं. साथ ही, वह खरीद-फरोख्त की संभावनाओं को रोकने की कोशिश करेंगी..." 

लेटर में आगे लिखा है, "हम, हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, जिनका किसी भी सियास पार्टी से कोई रिश्ता नहीं है, लेकिन संविधान में निहित आदर्शों और चुनावी लोकतंत्र के मूल्यों के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं, हाल के दिनों में हुए घटनाओं पर गहरी पीड़ा से यह खुला पत्र 2024 के संसदीय चुनावों के संबंध में लिख रहे हैं."

चुनाव आयोग से की ये मांग
पूर्व न्याधिशों ने चुनाव आयोग से मांग की है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के सभी बूथों पर डाले गए वोटों की सटीक संख्या का खुलासा करने और चुनाव नियमों के संचालन के फॉर्म 17 (सी) को जनता के लिए उपलब्ध कराने से इनकार करना शामिल है. साथ ही इस लेटर में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले और नफरत फैलाने वाले भाषण के खिलाफ न्यूनतम कार्रवाई समेत सत्तारूढ़ दल के सीनियर नेताओं द्वारा विपक्षी दलों का विरोध प्रमुख चिंता का विषय है.

लेटर में कहा गया है कि देश की सबसे बड़ी अदालत होने के नाते संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए "किसी भी संभावित तबाही को रोकने या वोटों की गिनती और परिणामों की घोषणा के दौरान होने वाली किसी भी भयावह स्थिति से निपटने के लिए सक्रिय कार्रवाई" करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

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