सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए हज़ारों की तादाद में जायरीन उर्स मुबराक में शामिल नहीं हो सके. कोरोना गाइडलाइंस को नजर में रखते हुए दरगाह कमेटी ने भी किसी खास प्रोग्राम का आयोजन नहीं किया.
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गुवाहाटी/शरीफुद्दी: कोरोना की वजह कई राज्यों में अभी पाबंदियां लगी हुई हैं. कोरोना के साये ने शाह मखदूम शाह रहमतुल्ला अलेही के सालाना उर्स पर भी अपना असर छोड़ा. असम की राजधानी गुवाहाटी में के सीजूबारी में मौजूद शाह मखदूम शाह रहमतुल्लाह की दरगाह पर उनका 79वां उर्स बहुत ही सादगी के साथ मनाया गया. क्योंकि असम में सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक सिर्फ 200 लोगों के इकट्ठा होने की इजाज़त मिली हुई है.
सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए हज़ारों की तादाद में जायरीन उर्स मुबराक में शामिल नहीं हो सके. कोरोना गाइडलाइंस को नजर में रखते हुए दरगाह कमेटी ने भी किसी खास प्रोग्राम का आयोजन नहीं किया. दरगाह कमेटी ने कुछ लोगों के साथ मिलकर जुमा की नमाज़ के बाद दुआ और कुरानख्वानी कर फातिहा की रस्म अदा की.
इस मौके पर जी मीडिया ने मखदूम शाह दरगाह के खादिम साहेब से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने हमें बताया कि इस बार उर्स मुबारक में भीड़ नही लगाई गई है. सिर्फ कुछ लोगों को लेकर दुआ की गई और कुरानख्वानी और फातिहा की रस्म अदा. उन्होंने बताया कि सरकार ने सिर्फ 200 लोगों की इजाज़त दी थी इसीलिए हमारी कमेटी ने कहा कि इस बार उर्स नहीं मनाया जाएगा. अगर उर्स मनाया जाता तो हजारों की तादाद में लोगों की इसीलिए हम लोग इस बार उर्स मुबारक नहीं मनाएंगे.
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