West Bengal News: किडनी समस्याओं से परेशान एक हिन्दू महिला को इलाज के दौरान खून की फ़ौरन जरूरत थी. एक मुस्लिम युवक ने अपने रोजे के दौरान रोजा तोड़ते हुए रक्तदान करके महिला की मदद की है.
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West Bengal News: जहां रोजाना ही दो सुमदाय में आपसी झड़प और हिंसा की खबरें सुनने को मिलती है. वहीं, पंश्चिम बंगाल से इंसानियत और भाईचारे की एक खबर सामने आई है. पश्चिम बंगाल में रहने वाले एक मुस्लिम शख्स ने अपने रोजे के दौरान एक हिन्दू महिला को रक्तदान किया है. महिला की मदद के दौरान उसने अपने रोजा का भी ख्याल नहीं किया.
दोनों शख्स ही पश्चिम बंगाल में रहते हैं. रक्तदान करने वाले मुस्लिम युवा का नाम नसीम मलिता है, जिसकी उम्र 27 साल की है. वहीं, ब्लड लेने वाली महिला का संगीता घोष है, जो 2017-18 से किडनी की बीमारी से पीड़ित है. नसीम ने इतवार को पश्चिम बंगाल के कल्याणी इलाके के एक प्राइविट मेडिकल फैसिलिटी यानी कि निजी चिकित्सा सुविधा में रक्तदान किया है.
नियमित खून की जरूरत
बता दें कि संगीत घोष नदिया के माजदिया में रहती है. वह हमेशा किडनी से जुड़ी तमाम बिमारियों का इलाज करवाती है, जिसके लिए उनको नियमित तरह से खून चढ़ाने की ज़रूरत होती है. बीते इतवार को इलाज के दौरान उनको तत्काल खून की जरूरत पड़ गई. इसके लिए इमरजेंसी ब्लड सर्विस (ईबीएस) ने नसीम से राब्ता किया था. नसीम मुर्शिदाबाद के रहने वाले हैं. अभी वह कल्याणी में अपनी पढ़ाई को पूरी कर रहे हैं. ईबीएस से अनुरोध मिलने के तुरंत बाद ही नसीन ने बिना किसी सवाल के रक्तदान किए. उन्होंने उस महिला के धर्म या जाति के बारे में कोई सवाल नहीं किया, जिससे यह मालूम चलता है कि मदद करने के लिए इंसान आज भी कोई जाति या धर्म नहीं देखता है.
रक्तदान से रोजा टूटता है या नही?
आपको बता दें कि अक्सर ही लोग इस बात से कन्फयूज़ रहते हैं कि रोजे में रक्तदान कर सकते हैं या नहीं? रोजे की हालात में ब्लड डोनेट करने से रोजा टूट जाता है या नही. इसके संदर्भ में हम आपको बता दें कि रोजे के हालात में रक्तदान करने से रोजा टूट जाता है. इसलिए लोग दिन में रोज़े की हालत में रक्तदान करने से बचते हैं. लेकिन यहाँ नसीम ने रोज़े की फ़िक्र किये बिना रक्तदान किया.