यतीमखाने में पलने वाले गाज़ी अब्दुल्ला ने पास किया KAS एग्जाम, पढ़िए कैसे हासिल किया मकाम
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यतीमखाने में पलने वाले गाज़ी अब्दुल्ला ने पास किया KAS एग्जाम, पढ़िए कैसे हासिल किया मकाम

ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद, गाज़ी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मुनक़्किद इंटरेंस इम्तेहान पास किया. साथ ही उन्होंने पीजी के लिए जम्मू यूनिवर्सिटी का इंटरेंस एक्ज़ाम भी पास किया

फाइल फोटो
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नई दिल्ली/राजा रहबर जमाल: वाक़ई ये सच है कि जहां चाह वहां राह है, यह कहावत जम्मू और कश्मीर के डोडा ज़िले में फिर सही साबित हुई है, जहां बचपन में सिर से वालिद का साया उठ जाने के बाद तंगहाली की वजह से यतीमखाने में 7 साल गुजारने के बावजूद एक नौजवान ने केएएस (Kashmir Administrative Services) एग्जाम पास करके अपनी मेहनत से अपना मकाम हासिल किया है.

आज का यह नौजवान उस वक्त महज़ दो बरस का था जब उन्होंने अपने पिता को खो दिया था और फिर माली हालात बदतर होने की वजह से उनकी मां ने उन्हें श्रीनगर में एक यतीमख़ाने में भेज दिया. इसके बाद उन्होंने गरीबी के अलावा कई तरह की मुश्किलों को बर्दाश्त किया लेकिन आख़िर में अपनी मंजिल हासिल की, वो भी ऐसी मंज़िल जिसको पाना तक़रीबन हर कश्मीरी नौजवान का ख़्वाब होता है.

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जी मीडिया से बात करते हुए गाज़ी अब्दुल्ला ने बताया कि मेरा ख्वाब यहीं पर खत्म नहीं होता, मैं आईएएस एग्जाम भी पास करना चाहता हूं. 

गाज़ी अब्दुल्ला ने कहा कि "जब मैं सिर्फ़ दो साल का था तब मैंने अपने वालिद को खो दिया. लेकिन तंगहाली के हालात में और ज़हनी तौर पर साथ देने वाली मेरी मां नगीना बेगम के अलावा कोई नहीं था, जो मुझे तरग़ीब देने के लिए हमेशा मौजूद रहती थीं. मैं उनसे दूर था लेकिन कहीं ना कहीं उनके दिल के बहुत क़रीब भी था."

गाज़ी तब यतीमख़ाने में आए थे तो वो 5वीं क्लास में पढ़ते थे और 12वीं क्लास के इम्तेहान पास करने तक वहीं रहे. 12वीं के एग्ज़ाम पास करने के बाद, गाज़ी अपने  गांव वापस आ गए क्योंकि वे माली तौर पर तंगी की वजह से श्रीनगर में तालीम हासिल करने का इंतेज़ाम नहीं कर सके. गाज़ी बताते हैं कि मआशी तंगी के सबब उनके पास वापस डोडा जाने के अलावा कोई मुतबादिल नहीं था. उन्होंने वापस आकर डोडा के एक सरकारी डिग्री कॉलेज में दाखिला लिया और ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वह बच्चों को ट्यूशन देते थे, ताकि अपनी मां की मदद कर सकें. 

ग्रैजुएशन पूरी करने के बाद, गाज़ी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मुनक़्किद इंटरेंस इम्तेहान पास किया. साथ ही उन्होंने पीजी के लिए जम्मू यूनिवर्सिटी का इंटरेंस एक्ज़ाम भी पास किया लेकिन उन्होंने एएमयू जाना पसंद किया, जहां उनके मुताबिक़ उन्हें अपने हदफ़ तक पहुंचने और पूरा करने के लिए ज्यादा एक्सपोज़र मिला.

गाज़ी ने नौजवानों से मन्फ़ी चीज़ों के बजाय मुस्बत नज़रिए का इंतेख़ाब करने और हालात को कभी क़ुसूरवार ना ठहराने की अपील की क्योंकि ये ज़िंदगी है और इसमें कामयाबी हासिल करने के लिए मुश्किलात और जद्दोजहद का सामना करना पड़ता है.तभी कामयाबी का नसीब होती है.

 

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