IRan Rasia Niuclear deal: ईरान के एटॉमिक चीफ ने एक बड़ी घोषणा की है कि है, जिससे अमेरिका को तखलीफ हो सकता है. ईरान के इस ऐलान के मुताबिक रूस उनके देश में 8 नए परमाणु प्लांट बनाएगा. अमेरिका ईरान के प्रमाणु प्रोग्राम को बंद कराना चाहता है. इलिए ईरान और अमेरिका के बीच में कई दौरों की वार्ता भी हो चूकी है. ऐसे में ईरान में रूस द्वारा नए परमाणु प्लांट का निर्माण कराना अमेरिका को बर्दास्त नहीं होगा.
दरअसल, सोमवार 9 जून को ईरानी संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति समिति के सदस्य तेहरान में एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन के हेडक्वार्टर पहुंचे, जहां ईरान एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष मोहम्मद इस्लामी ने रूस द्वारा ईरान में नए न्यूक्लियर प्लांट के निर्माण करने की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ईरान और रूस के बीच पहले से ही परमाणु प्लांट के निर्माण को लेकर डील हुई थी, जिसे अब अमल में लाया जाएगा.
मोहम्मद इस्लामी ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि देश में व्यापक स्तर पर उर्जा का निर्माण करना है, जिसके लिए एईओआई की योजना है कि ईरान की परमाणु ऊर्जा उत्पादन की क्षमता को तीन गुना बढ़ाना है. ईरान में एक बुशहर प्लांट है, जिसका निर्माण मई 2011 में रूस ने किया था, जो ईरान की पहली और एकमात्र चालू परमाणु ऊर्जा सुविधा है. ये देश के सिविलियन न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम का केंद्र रहा है. इस प्लांट में लंबे समय से रूस की सरकारी परमाणु एजेंसी रोसाटॉम का सहयोग भी है.
गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल के महीने में ईरान के पेट्रोलियम मंत्री मोहसेन पकनेजाद ने बताया था कि रूस, ईरान में एक नए न्यूक्लियर प्लांट के निर्माण के लिए धन मुहैया कराएगा. पकनेजाद ने कहा था कि दोनों देश मास्को की क्रेडिट लाइन का उपयोग करते हुए नई परमाणु ऊर्जा सुविधाओं के निर्माण के साथ बुशहर पावर प्लांट के दूसरे और तीसरे चरण का काम पूरा करेंगे.
वहीं, इंटरनेशनल एटॉमिक एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने परमाणु शक्ति संपन्न देशों पर चर्चा करते हुई ईरान को उनकी सबसे बड़ी चिंता बताया था. उन्होंने कहा था कि ईरान एक सफल परमाणु परीक्षण को पूरा करने से बहुत ज्यादा दूर नहीं है.
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार ईरान ने अभी तक हथियार कार्यक्रम शुरू नहीं किया है, लेकिन अगर चाहे तो परमाणु हथियार बनाने की स्थिति में है.
अमेरिका नहीं चाहता कि ईरान न्यूक्लियर हथियार बना पाए, यही वजह है कि दोनों मुल्कों के बीच रिश्ते हमेशा खराब रहते हैं, और अमेरिका ईरान पर पाबंदियां लगाता रहता है. अब रूस द्वरा ईरान में परमाणु प्लांट का निर्माण करना अमेरिका के लिए टेंशन का विषय है. एक तरफ अमेरिका ईरन पर दबाव बनाकर या बातचीत के सहारे प्रमाणु प्रोग्राम बंद कराना चाहता है, तो दूसरी और रूस द्वारा ईरान को प्रमाणु प्लांट बनाने में मदद की जा रही है.