Assam: कांग्रेस के 2 विधायकों के बाद AIUDF का ये दिग्गज MLA BJP में शामिल
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक सीनियर नेता ने कहा कि AIUDF के नेता तालुकदार ने बुधवार को असम के वज़ीरे आला हिमंत बिस्वा सरमा से मुलाकात की, जिन्होंने उनका भजपा में इसतक्बाल किया.
गुवाहाटी: असम विधानसभा के एक अधिकारी ने कहा कि भवानीपुर इंतखाबी हल्के से ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के विधायक तालुकदार ने स्पीकर बिस्वजीत दैमारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसके साथ ही तालुकदार के इस्तीफे से विधानसभा की पांच सीटें खाली हो गईं.
भारतीय जनता पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा कि तालुकदार ने बुधवार को असम के वज़ीरे आला हिमंत बिस्वा सरमा से मुलाकात की, जिन्होंने उनका भजपा में इसतक्बाल किया. भाजपा नेता ने कहा कि तालुकदार बुधवार रात पार्टी के स्टेट दफ्तर गए और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भाबेश कलिता की मौजूदगी में औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल हो गए.
भाजपा के सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) के उम्मीदवार रंजीत डेका को हराने वाले तालुकदार ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने अपने इंतखाबी हल्के और असम के लोगों के 'व्यापक हित' के लिए एआईयूडीएफ छोड़ दिया और राज्य के लोगों की भलाई के लिए काम करेंगे.
गौरतलब है कि तालुकदार मुस्लिम आधारित पार्टी एआईयूडीएफ में अकेले हिंदू विधायक थे, जिनकी 126 सदस्यीय असम विधानसभा में ताकत अब घटकर 15 हो गई है. भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी पश्चिमी असम की भबनीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में तालुकदार को टिकट दे सकती है.
1 अगस्त को असम कांग्रेस के दो बार विधायक सुशांत बोरगोहेन भाजपा में शामिल हो गए, जबकि 21 जून को चार बार के कांग्रेस विधायक और असम के चाय बागान के प्रमुख नेता रूपज्योति कुर्मी ने पार्टी छोड़ दी और भगवा पाले में शामिल हो गए.
मार्च-अप्रैल के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 60 सीटें जीतीं, जबकि उसके चुनावी सहयोगी एजीपी और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) ने 9 और 6 सीटें हासिल कीं। असम के पूर्व मुख्यमंत्री सबार्नंद सोनोवाल, जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं, उन्होंने अभी तक विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है.
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कांग्रेस, जिसने 15 सालों (2001-2016) तक असम पर हुकूमत की, उसने पिछले विधानसभा चुनावों में 29 सीटें जीती, 2016 के चुनावों की तुलना में तीन अधिक थी. कांग्रेस के अन्य सहयोगियों में से 10-पार्टी `महाजोत` की कियादत में, एआईयूडीएफ ने पिछली बार 13 से 16 सीटें जीतीं, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) को 12 के मुकाबले चार सीटें मिलीं और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी सिर्फ एक जीती सीट सकी.
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