दरअसल 30 वर्षीय संध्या कई वर्षों से अपने बच्चों को अफसर बनाने के लिए मध्य प्रदेश के जबलपुर रेलवे स्टेशन पर कुली की काम कर रही हैं.
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नई दिल्ली: आपने अक्सर सुना होगा कि दुनिया में मां जैसा कोई रिश्ता नहीं है. अपने बच्चों के लिए मां कुर्बानियों की कोई बराबरी नहीं हो सकती. मां की जिम्मेदारियां तब और भी बढ़ जाती हैं जब उसके बच्चों का पिता यानी उसका पति दुनिया से रुख्सत हो जाए. ऐसे में मां को ही बच्चों के लिए पिता की भी तमाम जिम्मेदारियां निभानी पड़ती है. इसके लिए उसे समाज रहकर बहुत मेहनत करनी पड़ती है. एक ऐसी ही हकीकत स्टोरी हम आपको बताने जा रहे हैं.
दरअसल 30 वर्षीय संध्या कई वर्षों से अपने बच्चों को अफसर बनाने के लिए मध्य प्रदेश के जबलपुर रेलवे स्टेशन पर कुली की काम कर रही हैं. इतना ही नहीं कुली के काम से खर्च पूरा न होने पर संध्या एक प्राइवेट नौकरी भी करती हैं. एक खबर के मुताबिक संध्या की शादी साल 2008 में हुई थी लेकिन 2016 में उनके पति की मौत हो गई थी. जिसके बाद से संध्या इसी तरह अपनी जिंदगी का गुजार रही हैं.
संध्या का कहना है कि वो अपने 11 साल के बेटे शाहिल जो चौथी कक्षा में पढ़ता है, कक्षा 3 में पढ़ने वाला 8 साल के हर्षित और 5 साल की बेटी जो केजी टू में पढ़ाई कर रही है, को अफसर बनाने के लिए इतनी सख्त मेहनत कर रही है. एक जानकारी के मुताबिक संध्या हर रोज 45 किलोमीटर का सफर तय करके जबलपुर पहुंचती है और यहां वो शाम होने तक काम करती है. शाम होने के बाद वो घर वापस लौट जाती है जहां उसके बच्चे उसका इंतेजार कर रहे होते हैं.
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