रुपिंदर के बाद Tokyo Olympic पदक विजेता लाकड़ा ने भी अंतरराष्ट्रीय HOCKEY से लिया संन्यास
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रुपिंदर के बाद Tokyo Olympic पदक विजेता लाकड़ा ने भी अंतरराष्ट्रीय HOCKEY से लिया संन्यास

31 वर्ष के लाकड़ा इंचियोन एशियाई खेल 2014 में स्वर्ण पदक और 2018 जकार्ता खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे.

डिफेंडर बीरेंद्र लाकड़ा

नई दिल्लीः रूपिंदर पाल सिंह के बाद ओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के अनुभवी डिफेंडर बीरेंद्र लाकड़ा ने भी युवा खिलाड़ियों के लिए रास्ता बनाने की कवायद में गुरूवार को अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है. लाकड़ा के संन्यास की घोषणा हॉकी इंडिया ने ट्विटर पर की है. हॉकी इंडिया ने ट्वीट किया ,‘‘ मजबूत डिफेंडर और भारतीय हॉकी टीम के सबसे प्रभावी खिलाड़ियों में से एक ओडिशा के स्टार लाकड़ा ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने का फैसला लिया है. हैप्पी रिटायरमेंट बीरेंद्र लाकड़ा.’’
31 वर्ष के लाकड़ा इंचियोन एशियाई खेल 2014 में स्वर्ण पदक और 2018 जकार्ता खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे. उनके संन्यास से पहले ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर ने भी युवाओं को रास्ता देने की कवायद में अंतरराष्ट्रीय हॉकी से विदा लेने की चैंकाने भरी घोषणा की.

फेसबुक पर लंबी पोस्ट लिखकर दी जानकारी 
लाकड़ा ने बाद में फेसबुक पर लंबी पोस्ट लिखकर कहा, ‘‘पिछले कुछ सप्ताह से मैं हॉकी में अब तक के अपने सफर पर आत्ममंथन कर रहा था. भारत के लिए खेलना और भारतीय टीम की जर्सी पहनने से ज्यादा खुशी और गर्व मुझे किसी बात से नहीं मिला. अब समय आ गया है कि अगली पीढी के युवा खिलाड़ी भारत के लिए खेलने के अहसास को जी सकें.’’ उन्होंने आगे कहा कि पिछले 11 साल में देश के लिए 201 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के बाद मैने भारतीय हॉकी टीम से विदा लेने का फैसला किया है.’’ 

सभी का शुक्रिया अदा किया 
ओडिशा के इस अनुभवी खिलाड़ी ने कहा कि मैने भारतीय टीम के लिए खेलते हुए अपने कैरियर में कई उतार चढाव देखे लेकिन ओलंपिक कांस्य पदक जीतने से बढकर कुछ नहीं. मुझे लगता है कि अब विदा लेकर नया रास्ता चुनने का सही समय है. इस खेल ने मुझे इतना कुछ दिया है और मेरा जीवन बदल दिया है. मैं आगे भी किसी ना किसी रूप में हॉकी की सेवा करता रहूंगा. उन्होंने कहा कि मैं अपने कैरियर में हॉकी इंडिया के योगदान का जिक्र करना चाहता हूं, खासकर जब मैं चोटों से जूझ रहा था तो हॉकी इंडिया ने मेरा पूरा साथ दिया. मैं सभी कोचों को और अपने साथी खिलाड़ियों को धन्यवाद देना चाहता हूं. 

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