'बाबा का ढाबा' से भी बुरी कहानी है 'रोटी वाली अम्मा' की, 2 बेटें हैं लेकिन नहीं करते मदद
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'बाबा का ढाबा' से भी बुरी कहानी है 'रोटी वाली अम्मा' की, 2 बेटें हैं लेकिन नहीं करते मदद

जानकर हैरत ज़रुर हुई होगी कि महज़ बीस रुपए में लोगों का पेट भरती हैं भगवान देवी. इनके ढाबे पर आप सिर्फ 20 रुपए में दाल, सब्ज़ी, चावल और रोटी खा सकते हैं.

'बाबा का ढाबा' से भी बुरी कहानी है 'रोटी वाली अम्मा' की, 2 बेटें हैं लेकिन नहीं करते मदद

आगरा: दिल्ली के मालवीय नगर में अपना ढाबा चलाने वाले बाबा की क़िस्मत सोशल मीडिया ने बदल दी लेकिन दिल्ली के बाबा की तरह मुल्क में ऐसे कई बुज़ुर्ग हैं जिनकी रोज़ी रोटी लॉकडाउन के दौर में ख़तरे में पड़ गई. ऐसी ही कहानी आगरा की अम्मा की भी है. जो 20 रुपये में लोगों को भरपेट खाना खिलाती हैं लेकिन आज उनकी रसोई भी सूनी पड़ी है.

जानकर हैरत ज़रुर हुई होगी कि महज़ बीस रुपए में लोगों का पेट भरती हैं भगवान देवी. इनके ढाबे पर आप सिर्फ 20 रुपए में दाल, सब्ज़ी, चावल और रोटी खा सकते हैं. यानी इस महंगाई के दौर में भी वो आपको भरपेट खाना सिर्फ 20 रुपए में दे रही हैं. लेकिन आगरा की रोटी वाली अम्मा इन दिनों काफी परेशान हैं. जिसकी सबसे बड़ी वजह है ढाबे पर ग्राहकों का कम होना. कोरोना के बाद अम्मा ने अपना काम तो शुरू कर लिया लेकिन वो पुरानी भीड़ अब इनकी दुकान पर नहीं दिखाई देती है और अब तो खाना खाने वालों की गिनती लगातार कम हो रही है. पहले यहां कई रिक्शेवाले  खाना खाने आते थे मगर लॉकडाउन के चलते उनका आना भी बहुत कम हो गया है.

भगवान देवी ये काम पिछले 14-15 सालों से कर रही हैं. मगर अब उन्हें लगता है कि ये काम ज़्यादा दिन नहीं चलेगा. हालांकि इतनी उम्र के बाद भी उनके काम करने की ख़्वाहिश में ज़रा सी भी कमी नहीं दिखाई देती है लेकिन हालात अब पहले जैसे नहीं रहे. पूछने पर पता चला कि इनके दो बेटे हैं मगर मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है. अम्मा कहती हैं कि कोई उनकी मदद नहीं करता अगर कोई मदद करता तो उन्हें इस उम्र में इस तरह काम ना करना पड़ता.

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