अकबर खान ने साइकिल से बनाई मोटरसाइकिल, पेट्रोल और चार्जिंग की भी नही जरूरत
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अकबर खान ने साइकिल से बनाई मोटरसाइकिल, पेट्रोल और चार्जिंग की भी नही जरूरत

अपनी इस ईजाद से पहले ही अकबर ख़ान मुख़्तलिफ़ क़िस्म की समाजी ख़िदमात के ज़रिए अपनी पुख़्ता शिनाख़्त क़ायम कर चुके हैं. कई बार अकबर खान सड़कों के गड्ढों को अपने ख़ुद के पैसों से अकेले भर चुके हैं.

अकबर खान ने साइकिल से बनाई मोटरसाइकिल, पेट्रोल और चार्जिंग की भी नही जरूरत

रीवा: लोगों की अलग अलग तरीके से मदद कर समाज की ख़िदमत का नेक काम करने वाले रीवा के ऑटो ड्राइवर अकबर ख़ान एक साइकिल को मोटरसाइकिल बनाने के बाद इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं. अकबर ख़ान ने इसको बनाकर एक मिसाल पेश की है. इससे लोगों के पेट्रोल में लगने वाले पैसे तो बचेंगे साथ ही जो गरीब हैं वो भी इस साइकिल को चलाकर मोटरसाइकिल का मज़ा ले सकेंगे.

रीवा के खुटेही मोहल्ले में रहने वाले ऑटो चलाने वाले अकबर खान अक्सर अलग-अलग तरीकों से लोगों की मदद कर समाज सेवा का काम करते आ रहे हैं लेकिन समाज सेवा का नेक काम करने वाले अकबर खान इस बार फिर चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि इस बार उन्होंने एक आम सी दिखने वाली साइकिल को मोटरसाइकिल बना दिया है. 

उनका मानना है की लगातार पेट्रोल के दाम बढ़ रहे रहे हैं जिससे ग़रीब आदमी और कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स जिनके मां-बाप के पास ज्यादा पैसे नहीं हैं, वो मोटर साइकिल ख़रीदने से क़तरा रहे है. क्योंकि मंहगाई के इस दौर में अब मंहगा पेट्रोल डलवाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है. इसलिए उन्होंने एक अच्छी सोच रखते हुए कई दिनों की मेहनत के बाद एक आम सी दिखने वाली सायकल को मोटर साइकिल बना दिया.

अकबर ख़ान की बनाई गई ये बाइक पहले 5 रुपए के खर्च में बिजली से चार्ज होकर करीब 90 किलोमीटर की दूरी तय करती थी लेकिन इसमें बदलाव करते हुए अकबर ने अब उसे बिना पैसे खर्च किये ही सैकड़ों मील तक का सफर तय करने के लायक बना दिया है.

उन्होंने इसमें बैटरी लगा दी है जो चलने से ऑटोमेटिक चार्ज हो जायेगी जिसको चार्ज करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. इसमें डिजिटल लाइट का इंतज़ाम है. इंडिकेटर के साथ ही कैमरा भी लगा है साथ ही यह आलूदगी से भी आज़ाद है. अभी इसको बनाने में क़रीब 14 हज़ार रुपये की लागत लगी है लेकिन अकबर खान का कहना है की अगर इंतज़ामिया उनका तआवुन करे तो ग़रीबों, माज़ूरों और स्टूडेंट्स के लिए वो इस साकिल को कम लागत में ही बनाकर तैयार कर देंगे.

अपनी इस ईजाद से पहले ही अकबर ख़ान मुख़्तलिफ़ क़िस्म की समाजी ख़िदमात के ज़रिए अपनी पुख़्ता शिनाख़्त क़ायम कर चुके हैं. कई बार अकबर खान सड़कों के गड्ढों को अपने ख़ुद के पैसों से अकेले भर चुके हैं. इसके आलावा जरूरतमंदों की फ्री ख़िदमात भी करते रहते है और उनसे किराया भी नहीं लेते. ऑटो ड्राइवर अकबर खान अपनी ऑटो में ग़रीब और माज़ूर तलबा-तालिबात को मुफ़्त ख़िदमत देकर न सिर्फ उन्हें स्कूल तक पहुंचाते हैं बल्कि दीगर ज़रुरतमंदों को भी को मंज़िल तक पहुंचाते हुए मुफ़्त ख़िदमात देते हैं. अकबर ख़ान की इंसानियात का जज़्बा यहीं तक महदूद नहीं है बल्कि क़फन-दफ़न और दीगर आख़री रसूमात अदा करने में भी वो ख़ुद से आगे बढ़कर लोगों की मदद करते आ रहे हैं.

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