'अभी तो देख रहा हूँ उसे ख़फ़ा कर के', अली जरयून के शेर
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'अभी तो देख रहा हूँ उसे ख़फ़ा कर के', अली जरयून के शेर

Ali Zaryoun Poetry: कई लोगों का मानना है कि अली जरयून जौन एलिया के बेटे हैं. लेकिन उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वह जौन एलिया के बेटे नहीं हैं. पढ़ें अली जरयून के शेर...

'अभी तो देख रहा हूँ उसे ख़फ़ा कर के', अली जरयून के शेर

Ali Zaryoun Poetry: अली जरयून उर्दू के मशहूर पाकिस्तानी शायर हैं. वह 1983 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में पैदा हुए. नई पीढ़ी उन्हें खूब सुनती है. सोशल मीडिया पर उनकी अच्छी खासी फॉलोइंग है. वह पाकिस्तान और दुबई में कई मुशायरों में हिस्सा ले चुके हैं. अली जरयून उर्दू के अलावा, हिंदी और फारसी में भी लिखते हैं. वह 'मकतबा जरयून' के संस्थापक हैं. यह पब्लिकेशन शायरी और अदब को प्रमोट करता है. 

आदम और सुधर जाए 
तुम भी हद ही करती हो 

मन जिस का मौला होता है 
वो बिल्कुल मुझ सा होता है 

तिरे सर में सोज़ नहीं प्यारे 
तू अहल नहीं मिरे साज़ों का 

अस्र के वक़्त मेरे पास न बैठ 
मुझ पे इक साँवली का साया है 

बात भी कीजिए देख भी लीजिए 
देख भी लीजिए बात भी कीजिए 

छोड़ना उस के लिए मुश्किल न हो 
मुझ से मत कहना मैं ये कर जाऊँगा 

पहले-पहल लड़ेंगे तमस्ख़ुर उड़ाएँगे 
जब इश्क़ देख लेंगे तो सर पर बिठाएँगे 

बिछड़ गया हूँ मगर याद करता रहता हूँ 
किताब छोड़ चुका हूँ पढ़ाई जारी है 

मना भी लूँगा गले भी लगाऊँगा मैं 'अली' 
अभी तो देख रहा हूँ उसे ख़फ़ा कर के 

अदा-ए-इश्क़ हूँ पूरी अना के साथ हूँ मैं 
ख़ुद अपने साथ हूँ या'नी ख़ुदा के साथ हूँ मैं 

मैं बूढे जिस्म की ज़िल्लत उठा नहीं सकता 
किसी क़दीम तजल्ली से कर नया मुझ को 

हवस से होता हुआ आ गया मैं 'इश्क़ की सम्त 
ये सिलसिला भी उसी रास्ते से मिल रहा था

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