सिर्फ शादी के लिए मज़हब बदलना ना काबिले कुबूल: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Advertisement

सिर्फ शादी के लिए मज़हब बदलना ना काबिले कुबूल: इलाहाबाद हाईकोर्ट

अर्ज़ी में कहा गया था कि उन्होंने इस साल जुलाई में शादी की लेकिन लड़की का परिवार उनकी ज़िंदगी में दखल अंदाज़ी कर रहे हैं.

फाइल फोटो

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अर्ज़ी पर समाअत (सुनवाई) करते हुए कहा कि सिर्फ शादी के लिए मज़हब बदलना जायज़ नहीं है. अदालत ने यह तबसिरा उस अर्ज़ी को खारिज करते किया है जिसमें एक नए शादीशुदा जोड़े ने पुलिस और लड़के वालिद (पिता) की तरफ से उनकी ज़िंदगी में दखल अंदाज़ी न करने की मांग की गई थी. 

अर्ज़ी में कहा गया था कि उन्होंने इस साल जुलाई में शादी की लेकिन लड़की का परिवार उनकी ज़िंदगी में दखल अंदाज़ी कर रहे हैं. अदालत ने दस्तावेज़ देखने का बाद पाया कि लड़की ने 29 जून 2020 को अपना मज़हब बदलकर शादी की और एक महीने के बाद 31 जुलाई 2020 को उसने शादी की. जिससे साफ पता चल रहा है कि यह मज़हब तबदीली सिर्फ शादी के लिए की गई है. 

इस पर अदालत ने साल 2014 के नूरजहां मामले का हवाला देते हुए कहा कि महज़ शादी के लिए मज़हब बदलना ना काबिले कुबूल है. 

Zee Salaam LIVE TV

Trending news