मुहर्रम के मौके पर ताज़िये दफ़न किये जाने की इजाज़त की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई है. यह पीआईएल असर फाउंडेशन इदारे के चेयरमैन शौकत भारती ने दाखिल की है, जिस पर जुमेरात या जुमा को समाअत होने की उम्मीद है.
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इलाहाबाद: मुहर्रम के मौके पर ताज़िये दफ़न किये जाने की इजाज़त की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई है. यह पीआईएल असर फाउंडेशन इदारे के चेयरमैन शौकत भारती ने दाखिल की है, जिस पर जुमेरात या जुमा को समाअत होने की उम्मीद है. पीआईएल में ताज़ियों को बीस लोगों की मौजूदगी में कोरोना वायरस की गाइडलाइन पर अमल करते हुए दफ़नाने की इजाज़त दिए जाने की मांग की गई है.
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असर फाउंडेशनल की जानिब से दाखिल की गई अर्ज़ी में कहा गया है कि घरों में ताज़िया रखने और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बाहरी लोगों की मौजूदगी के बगैर मजलिस व मातम करने और दूसरी रस्में अदा करने की इजाज़त दी है लेकिन ताज़ियों को लेकर बाहर निकलने और उन्हें कर्बला तक ले जाकर वहां दफनाने की इजाज़त नहीं दी है.
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असर फाउंडेशन के चेयरमैन शौकत भारती के मुताबिक़ हुकूमत ने कोरोना की गाइडलाइंस में किसी शख्स की मौत होने पर बीस लोगों की मौजूदगी में आखिरी रसूमात की इजाज़त दे रखी है और ताज़ियों को भी दफ़न ही किया जाता है. इसलिए पूरे उत्तर प्रदेश में ताज़ियों को दफ़न करने के लिए मुंतखब लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग पर अमल करते हुए घरों से बाहर निकलने और बीस लोगों की मौजूदगी में ताज़ियों को दफनाने की इजाज़त दी जानी चाहिए.
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अर्जी में कहा गया है कि मुहर्रम कोई ऐसा त्योहार नहीं है जिसमें खुशियां मनाई जाती हैं. यह अपने ग़म को ज़ाहिर करने का मौका होता है. इसलिए अकीदतमंद खुद ही कानून के दायरे में रहते है.
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