ओवैसी ने इस मौलाना के हाथ में सौंपी बंगाल चुनाव की कमान! जानिए कौन हैं अब्बास सिद्दीकी
मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए टीएमसी के उस दावे को भी सिरे खारिज किया जिसमें टीएमसी ने कहा था कि ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बिहार विधानसभा चुनावों में NDA का सहयोग किया.
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asadudin Owaisi) रविवार को पश्चिम बंगाल पहुंचे. ओवैसी यहां हुगली जिले के स्थित धार्मिक स्थान फुरफुरा शरीफ पहुंचे. फुरफुरा शरीफ में उन्होंने धार्मिक नेता अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की. मुलाकात के बाद ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी आने वाले समय में अब्बास सिद्दीकी के साथ खड़ी रहेगी और उनका जो भी फैसला होगा वह उनके साथ खड़े रहेंगे.
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मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए टीएमसी के उस दावे को भी सिरे खारिज किया जिसमें टीएमसी ने कहा था कि ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बिहार विधानसभा चुनावों में NDA का सहयोग किया. उन्होंने कहा कि बिहार में उनकी पार्टी ने सीमांचल की 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसने पांच सीटों पर जीत हासिल की और महागठबंधन ने 9 सीटों पर जीत हासिल की जबकि एनडीए ने छह सीटें जीतीं.
ओवैसी ने आगे कहा कि उनकी पार्टी ने अभी यह तय नहीं किया है कि यह अकेले चुनाव लड़ेगी या किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन करेगी. हालांकि वो यकीनी तौर पर चुनाव लड़ेंगे और हमारी पार्टी अब्बास सिद्दीकी के फैसलों के साथ खड़ी है.
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कौन हैं अब्बास सिद्दीकी
बता दें अब्बास सिद्दीकी हुगली जिले के जंगीपारा में मौजूद फुरफुरा शरीफ के मौलाना हैं. उनकी मुस्लिम समाज के लोगों में काफी अच्छी पकड़ है. सिद्दीकी खुद को ओवैसी का बहुत बड़ा फैन भी बताते हैं और कहते हैं कि उन्होंने इसीलिए चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला लिया है क्योंकि कुछ लोग धर्म के आधार पर समाज को बांटने में लगे हुए हैं.
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फुरफुरा शरीफ की अहमियत
फुरफुरा शरीफ को फुरफुरा भी कहते हैं. यह पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के जंगीपाड़ा ब्लॉक में स्थित है. यहां पर साल 1375 में मुकलिश खान ने एक मस्जिद की तामीर कराई थी. जो अब बंगाली मुस्लिमों की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है. यहां पर उर्स और पीर मेले के दौरान भारी तादाद में अकीदतमंद पहुंचते हैं.
ममता बनर्जी की बढ़ी फिक्र
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी TMC को ही मुस्लिम समुदाए के वोट मिलते रहे हैं. टीएमसी के बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस आती है. बिहार में मुस्लिम वोटर्स के बीच AIMIM का उभार ममता बनर्जी के लिए फिक्र का सबब है. बंगाल में तीन जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिम वोटर की तादाद 50 फीसदी से भी ज्यादा है, जबकि कई जिलों में 25 फीसदी के करीब मुस्लिम वोटर्स हैं.
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