Assam Child Marriage: असम में बाल विवाह के ख़िलाफ़ लगातार एक्शन जारी है. असम पुलिस के एक्शन पर शौहरों की गिरफ्तारी के बाद औरतों को इस बात की चिंता है कि किस तरह से उनके पतियों को क़ानूनी सलाह और ज़मानत मिलेगी. इस मामले पर ज़ी सलाम ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट तथा मुस्लिम संगठन खुदाई खिदमतगार के असम प्रांत के सदर एडवोकेट इलियास अहमद से ख़ास बातचीत की. बातचीत के दौरान एडवोकेट इलियास अहमद ने कहा कि असम में बाल विवाह को लेकर धरपकड़ चल रही है, यह गिरफ्तारियां दो क़ानूनों के तहत की जा रही हैं.


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दो क़ानूनों के तहत गिरफ़्तारी: वकील
एक क़ानून प्रोविजन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 जबकि दूसरा पोस्को  एक्ट के तहत है. यह दोनों ही नॉन बेलेबल सेक्शन है, इस पर थाने में ज़मानत नहीं मिल सकती है, लेकिन इसके लिए अपने ज़िले के कोर्ट या गुवाहाटी हाईकोर्ट में ज़मानत के लिए अपील करनी होगा और स्थिति देखकर कोर्ट की तरफ से ज़मानत मिल सकती है, लेकिन पोस्को एक्ट में थोड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. वही जो प्रोविजन आफ चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 है, इस पर ज़मानत मिलने की पूरी संभावना है, क्योंकि अगर शादी के समय लड़की की उम्र 16 की थी और अभी उम्र 18 या 18  के पार कर चुके हैं तो अब शादी लीगल हो गई है.



"कार्रवाई 10 साल बाद क्यों"
सीनियर एडवोकेट ने बताया कि पोस्को एक्ट में 14 साल से कम उम्र की लड़की के साथ शादी करना एक बहुत बड़ा क्राइम है, इसमें बलात्कार का भी केस शामिल होता है. इसीलिए इस पर ज़मानत मिलनी मुश्किल होती है परंतु कोर्ट इस पर फैसला लेगा. एडवोकेट इलियास अहमद से जब यह पूछा गया कि बाल विवाह को लेकर गिरफ्तारी हो रही है और इसके बाद थाने के बाहर महिलाओं का प्रदर्शन देखा जा रहा है इस पर क्या कहना है?तो
इस पर उन्होंने कहा कि जिस वक्त बाल विवाह हो रहे थे उसी वक्त इस पर कार्रवाई होनी चाहिए थी ना कि 10 साल बाद क्योंकि अभी जिनकी गिरफ्तारी हो रही है उनके ज्यादातर महिलाओं के बच्चे हो गए हैं और अपने पति के साथ सुखी जीवन गुज़ार रही हैं, इस समय गिरफ्तारी करनी ठीक नहीं है.


Report by Sharifuddin Ahmed (Guwahati)


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