Babri Masjid Demolition Case: 30 सितंबर को आएगा फैसला, अडवाणी-जोशी भी हैं मुल्ज़िम
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Babri Masjid Demolition Case: 30 सितंबर को आएगा फैसला, अडवाणी-जोशी भी हैं मुल्ज़िम

इस मामले में बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णुहरी डालमिया भी इस केस में आरोपी थे, जिनकी मौत हो चुकी है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद विध्वंस (इन्हेदाम) मामले में लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र यादव ने फैसला सुनाने की तारीख 30 सितंबर तय की है. सीबीआई ने इस मामले में दाखिल अपनी चार्जशीट में 49 लोगों को मुल्ज़िम बनाया था. इनमें 17 की मौत हो चुकी है. अब 32 मुल्ज़िमों पर 30 सितंबर को फैसला सुनाया जाएगा. सीबीआई के जज एस के यादव ने सभी मुल्ज़िमों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने की हिदायात दी हैं.

इस मामले में बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णुहरी डालमिया भी इस केस में आरोपी थे, जिनकी मौत हो चुकी है. दूसरे मुल्ज़िमों में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, राम विलास वेदांती, साध्वी ऋतंभरा, साक्षी महाराज, चंपत राय, महंत नृत्य गोपाल दास वगैरा शामिल हैं. 

अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को राम मंदिर तहरीक (आंदोलन) से जुड़े कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद शहीद कर दिया था. इस तहरीक की कयादत करने वालों में सीनियर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी शामिल थे. इन दोनों को भी बाबरी इन्हेदाम मामले में मुल्ज़िम बनाया गया था. दोनों लीडर स्पेशल सीबीआई अदालत के सामने अपना बयान दर्ज करा चुके हैं.

क्या है पूरा मामला

हिंदू फरीक का दावा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद की तामीर मुगल शासक बाबर ने 1528 में राम जन्मभूमि पर बने रामलला के मंदिर को तोड़कर करवाया था. जबकि मुस्लिम फरीक का दावा था कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी. साल 1885 में पहली बार यह मामला अदालत में पहुंचा. भाजपा लीडर लाल कृष्ण आडवाणी ने 90 की दहाई में राम रथ यात्रा निकाली और राम मंदिर तहरीक ने जोर पकड़ा. जिसके बाद 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया था. तबसे ही यह मामला अदालत में चल रहा है.

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