एस जयशंकर (S Jaisharkar) ने शुक्रवार को यहां कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और सुरक्षा साझेदारी के प्रमुख स्तंभ हैं.
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नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaisharkar) ने शुक्रवार को यहां कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और सुरक्षा साझेदारी के प्रमुख स्तंभ हैं. उन्होंने क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री पीटर डटन के साथ मुलाकात की. जान लें जयशंकर विदेश मंत्री के रूप में ऑस्ट्रेलिया की अपनी पहली यात्रा पर हैं.
वह क्वाड बैठक में भाग लेने के अलावा 12 फरवरी को अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष मारिस पायने के साथ भारत-ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों के 12वें ‘फ्रेमवर्क डॉयलॉग’ की सह-अध्यक्षता करेंगे. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "दिन की शुरुआत रक्षा मंत्री पीटर डटन से मुलाकात के साथ हुई. हमने पिछले साल हुई 2+2 चर्चा के बाद यह मुलाकात की." जयशंकार ने कहा, "रक्षा और सुरक्षा भारत-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी के प्रमुख स्तंभ हैं."
Started the day with meeting Defence Minister @PeterDutton_MP. We followed up on the 2+2 discussions last year.
Defence and security are key pillars of the India-Australia partnership. pic.twitter.com/YDTbZF02mS— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 11, 2022
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के इमीग्रेशन, नागरिकता, प्रवासी सेवा और बहुसांस्कृतिक मामलों के मंत्री एलेक्स हॉक से भी मुलाकात की और प्रतिभा, गतिशीलता और भूमंडलीकरण पर बातचीत की. हॉक ने एक ट्वीट में कहा, "आने वाले वर्षों में हमारे क्षेत्र के लिए चुनौतियों और अवसरों तथा ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आज मैंने विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर से मुलाकात की." उन्होंने कहा, "जिस तरह हम 2022 में भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष होने का जश्न मना रहे हैं, उसी तरह हम ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच मित्रता के 75 वर्ष होने का भी जश्न मना रहे हैं."
Nice to meet Immigration Minister @AlexHawkeMP .
A useful discussion on talent,mobility and globalization. pic.twitter.com/eiq7GyIiK8
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 11, 2022
हॉक ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "हमने इंडिया मैटर्स प्रोग्राम के ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टिट्यूट के उद्घाटन में भी भाग लिया, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा." जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई लेबर पार्टी के नेता एंथनी अल्बनीज और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करने वाली सीनेटर पेनी वोंग को द्विपक्षीय संबंधों पर विचारों के आदान-प्रदान और भारत के साथ साझेदारी को गहरा करने के लिए "मजबूत समर्थन" प्रदान करने पर धन्यवाद दिया.
अल्बनीज ने एक ट्वीट में कहा, "भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मिलकर खुशी हुई, जो आज सुबह क्वाड मंत्रिस्तरीय बैठकों के लिए मेलबर्न में हैं. भारत ऑस्ट्रेलिया का एक महान मित्र है और हमने क्षेत्रीय सुरक्षा तथा हमारे महान लोकतंत्रों के बीच संबंधों को गहरा करने के बारे में बात की."
वहीं, वोंग ने अपने ट्वीट कहा, ‘‘अमेरिका, भारत और जापान ऑस्ट्रेलिया के महान मित्र हैं- साथ ही हमारे क्षेत्र में महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार हैं." जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल नई दिल्ली में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों- मारिस पायने और पीटर डटन के साथ 'टू-प्लस-टू' वार्ता की थी. यह वार्ता रणनीतिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के बीच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हिंद-प्रशांत सहित समग्र रक्षा एवं रणनीतिक सहयोग को और बढ़ाने पर केंद्रित थी.
पिछले कुछ सालों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग में तेजी आई है. जून 2020 में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपने संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक फैलाया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के दौरान साजो-सामान संबंधी मदद के वास्ते सैन्य ठिकानों तक पारस्परिक पहुंच के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.
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ऑस्ट्रेलियाई नौसेना ने हाल में मालाबार नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लिया था जिसमें भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाएं भी शामिल हुई थीं. नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के बीच हिन्द-प्रशांत में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के वास्ते एक नई रणनीति विकसित करने के लिए क्वाड की स्थापना के काफी समय से लंबित प्रस्ताव को मूर्त रूप दिया था.
आपको बता दें चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता रहा है. हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके विभिन्न हिस्सों पर अपना दावा करते हैं. बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं. बीजिंग का पूर्वी चीन सागर को लेकर जापान के साथ भी समुद्री विवाद है.
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