अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा पहुंचा सकती है Saffron Diplomacy, जानिए क्या है और क्यों है खास
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अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा पहुंचा सकती है Saffron Diplomacy, जानिए क्या है और क्यों है खास

नई दिल्लीः अफगानिस्तान लंबे समय से युद्ध से जूझता आ रहा है, जिससे भारत के इस पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है. हालांकि अब अफगानिस्तान में बड़े सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. इन बदलावों की एक बड़ी वजह है अफगानिस्तान का केसर.

अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा पहुंचा सकती है Saffron Diplomacy, जानिए क्या है और क्यों है खास

नई दिल्लीः अफगानिस्तान लंबे समय से युद्ध से जूझता आ रहा है, जिससे भारत के इस पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है. हालांकि अब अफगानिस्तान में बड़े सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. इन बदलावों की एक बड़ी वजह है अफगानिस्तान का केसर. बता दें कि हाल ही में बेल्जियम बेस्ड द इंटरनेशनल टेस्ट इंस्टीट्यूट ने अफगानिस्तान के केसर को दुनिया में सबसे बेहतरीन करार दिया है. गौरतलब है कि यह लगातार आठवां साल है, जब अफगानिस्तान के केसर को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ आंका गया है.

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अफगानिस्तान में लगातार बढ़ रही केसर की खेती
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत ताहिर कादरी का कहना है कि कोरोना माहमारी के चलते साल 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई. हालांकि यह अफगानिस्तान के केसर उत्पादकों के लिए सकारात्मक साल रहा. अफगानिस्तान में कई राज्यों में अब केसर की खेती होनी शुरू हो गई है. इसका असर ये हुआ है कि अफगानिस्तान में होने वाली पोस्ता, अफीम की खेती में कमी आयी है.  

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अफगानिस्तान के 34 में से 23 राज्यों में पोस्ता की खेती होती थी लेकिन दिसंबर 2019 में इन राज्यों में अब केसर की खेती होनी शुरू हो गई है. दुनिया में होने वाले कुल केसर निर्यात में अफगानिस्तान की हिस्सेदारी 12.8 फीसदी है. अफगानिस्तान से ज्यादा केसर उत्पादन ईरान और भारत में ही होता है. माना जा रहा है कि केसर उत्पादन को बढ़ाकर अफगानिस्तान में लाखों लोग गरीबी से निकल सकते हैं.

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निर्यात में हर साल हो रही बढ़ोत्तरी
अफगानिस्तान में केसर को लाल सोना कहा जाता है. बीते कुछ सालों में अफगानिस्तान में केसर के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है. साल 2018 में अफगानिस्तान ने 21.25 मिलियन डॉलर का केसर निर्यात किया था. वहीं 2019 में यह बढ़कर 28.94 मिलियन डॉलर हो गया. इसके अलावा अफगानिस्तान ने 2018 और 2019 में क्रमशः 15 मिलियन और 17 मिलियन डॉलर का केसर भारत को भी निर्यात किया था.

इसलिए भी मुफीद है अफगानिस्तान में केसर की खेती
केसर की खेती के लिए पानी की बेहद कम जरूरत होती है. यही वजह है कि अफगानिस्तान में केसर की खेती में बढ़ोत्तरी हो रही है, जहां सूखा काफी पड़ता है. इसके अलावा केसर की खेती के लिए बहुत ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं होती है. यही वजह है कि अफगानिस्तान के किसान तेजी से केसर की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं.

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'भगवा डिप्लोमेसी' कर रहा अफगानिस्तान
भारत में मौजूद अफगानिस्तान के राजदूत ने साल 2001 में एक पहल 'अफगान एंबेसी के साथ केसर चाय' की थी, जिसके तहत भारत के आर्थिक जानकारों, व्यापारियों और पत्रकारों के साथ केसर के व्यापार को बढ़ाने की दिशा में बातचीत की गई. ऐसे ही पहल दुनिया के अन्य देशों के साथ भी की जा रही है. इसके साथ ही अफगानिस्तान सरकार ने कमतर क्वालिटी के केसर आयात पर भी बैन लगा दिया है. हालांकि अफगानिस्तान में शांति अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.

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