Bihar Politics: बिहार के पूर्व सीएम 'जननायक' कर्पूरी ठाकुर के राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू और उनके सहयोगी दल राजद, समेत अपोजिशन पार्टी बीजेपी खुद के उनके पदचिन्हों पर चलने का दावा करते हैं. ऐसे में केंद्र की भाजपा सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को 'भारत रत्न' देने का ऐलान कर बिहार ही नहीं बल्कि देश की सियासत में एक लंबी लकीर खींच दी, जिसे मिटाना दूसरे पार्टियों के लिए आसान नहीं है.


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बिहार में महागठबंधन की सरकार जाति जनगणना के बुनियाद पर रिजर्वेशन का दायरा बढ़ाकर बिहार समेत पूरे मुल्क में बढ़त की कोशिश में थे, जिसे भाजपा ने पूरी स्वीकारते हुए कर्पूरी ठाकुर को 'भारत रत्न' देकर सियासी सरगर्मी तेज कर दी है. राजनीति जानकारों मानना है कि बीजेपी ने कर्पूरी ठाकुर को देश का सबसे बड़ा अवार्ड देकर बड़ा दांव चल दिया है. 


माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यह घोषणा भाजपा सधा हुआ दांव है. बीजेपी के इस सधी चाल की काट किसी भी सियासी पार्टियों को नहीं दिख रहा, जिसकी वजह से बिहार के करीब सभी पार्टियों ने इस फैसले का स्वागत किया. बिहार के सीएम नीतीश कुमार को तो इस फैसले के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया, साथ ही राजद के नेता भी इस फैसले का इस्तकबाल कर रहे हैं.



कर्पूरी जी को केंद्र ने डर से दिया भारत रत्न; लालू यादव  
वहीं, कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी पर RJD ने कृष्ण मेमोरियल हॉल में जयंती प्रोग्राम का आयोजन किया.  प्रोग्राम के दौरान लालू यादव ने खिताब करते हुए दावा किया कर्पूरी ठाकुर के लिए मैंने आवाज उठाई तो केंद्र ने डर से भारत रत्न दिया. 


लालू ने इस दौरान कहा कि कर्पूरी जी को हम याद कर रहे हैं,  मुझे याद है विधानसभा के भीतर कर्पू्री जी को काफी प्रताड़ना और सताने का काम किया था, उन लोगों से कर्पूरी जी काफी परेशान थे मैं तब विधायक था. लालू यादव ने कहा की हम विधानसभा से आवास की तरफ जा रहे थे रास्ते में ही उनका निवास स्थान था जो आज स्मारक का रूप में है.  मैं अंदर चला गया जिस कमरे में वह आराम कर रहे थे उनके दोनों बेटे थे कर्पूरी जी काफी बीमार हो गए थे उस वक्त उनके पास कोई गाड़ी नहीं था.


 हरियाणा से देवीलाल ने गाड़ी दिया था प्रचार के लिए हम लोगों को उसे गाड़ी को बुलाया और उनकी बीमारी खतरनाक थी मैंने उनसे पूछा कि क्या तकलीफ है वह साफ-साफ नहीं बता रहे थे कुछ ही देर के बाद उनकी स्थिति काफी खराब हो गई. मैं अपने गोद में उन्हें बैठा लिया और एक तरफ उनका पुत्र रामनाथ ठाकुर उनको हमने कहा कि उनके सीने को दबाते रहिए और दूसरे बेटे को कहा कि पैर के तलवे को मलते रहे कुछ देर के बाद pmch की तरफ चल पड़े. हॉस्पीटल पहुंचते पहुंचते डॉक्टर ने देखा और कहा कि कर्पूरी जी अब नहीं रहे उनकी मौत हो गई है.