नागपुरः देश के न्यायिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति रोहित बी. देव ने शुक्रवार की दोपहर में एक खुली अदालत में अपना इस्तीफा दे दिया. न्यायाधीश ने अपना इस्तीफा देने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि वह अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकते है. उस वक्त वह न्यायमूर्ति एम. डब्ल्यू. चंदवानी के साथ एक खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे थे, उन्होंने वकीलों से माफ़ी मांगी और उन्हें अपने परिवार का हिस्सा बताया. 


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अदालत में मौजूद हर वकील से माफी मांगते हुए जस्टिस देव ने कहा, “मैंने तुम्हें डांटा क्योंकि मैं चाहता था कि तुम सुधर जाओ... तुम लोग कड़ी मेहनत करो." उन्होंने कहा, "उनका इरादा कभी भी किसी को चोट पहुंचाने का नहीं था, क्योंकि सभी उनके लिए एक परिवार की तरह थे और मैं अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकता हूं.’’ 


गौरतलब है कि 14 अक्टूबर, 2022 को न्यायमूर्ति देव और न्यायमूर्ति अनिल पानसरे की खंडपीठ ने कथित माओवादी लिंक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व संकाय प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया था और उनकी तत्काल रिहाई का भी आदेश दिया था. इसके बाद इस फैसले को महाराष्ट्र सरकार द्वारा चुनौती दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई आदेश पर रोक लगा दी थी. 19 अप्रैल, 2023 को, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को रद्द कर दिया और मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए किसी दूसरे पीठ को सौंपने के विशिष्ट निर्देशों के साथ वापस भेज दिया था.

न्यायमूर्ति देव का हालिया फैसला 
न्यायमूर्ति देव ने पिछले सप्ताह 3 जनवरी के महाराष्ट्र सरकार के संकल्प (जीआर) के संचालन पर रोक लगा दी थी, जिसके माध्यम से राज्य को निर्माण या निष्पादन कार्य में लगे ठेकेदारों द्वारा खनिजों के अवैध उत्खनन से संबंधित राजस्व विभाग द्वारा शुरू की गई दंडात्मक कार्यवाही को रद्द करने का अधिकार दिया गया था. 


कौन हैं न्यायमूर्ति देव ?  
न्यायमूर्ति देव का जन्म दिसंबर 1963 में हुआ था और उन्होंने जून 2017 में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले महाराष्ट्र के महाधिवक्ता और नागपुर में अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल के रूप में कार्य किया था. वह दिसंबर 2025 में सेवानिवृत्त होने वाले थे. 


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