सरकार ने CBI और ED के निदेशकों का बढ़ाया कार्यकाल; TMC ने कहा- पालतू तोते के लिए संसद की अनदेखी
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सरकार ने CBI और ED के निदेशकों का बढ़ाया कार्यकाल; TMC ने कहा- पालतू तोते के लिए संसद की अनदेखी

सरकार ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अध्यादेश को 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अधिकारी और मौजूदा प्रवर्तन निदेशालय प्रमुख एस के मिश्रा की सेवानिवृत्ति से महज तीन दिन पहले जारी किया गया है, जिसे लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है.  

 

अलामती तस्वीर
अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशकों का कार्यकाल मौजूदा दो वर्ष से अधिकतत पांच साल तक हो सकता है. सरकार ने इतवार को इस संबंध में दो अध्यादेश  जारी किये है. विनीत नारायण के मशहूर मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के मद्देनजर सीबीआई और ईडी के निदेशकों की नियुक्ति की तारीख से उनका दो साल का निश्चित कार्यकाल होता है, लेकिन सरकार ने इसे बढ़ा दिया है. सरकार के इस कदम को लेकर टीएमसी और वामदलों ने सरकार की कड़ी आलोचना की है.  केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अध्यादेश को 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अधिकारी और मौजूदा प्रवर्तन निदेशालय प्रमुख एस के मिश्रा की सेवानिवृत्ति से महज तीन दिन पहले जारी किया गया है. 

क्या एक अफसर के सेवा विस्तार के लिए बदला गया नियम? 
सरकार ने एस के मिश्रा का दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद 2020 में एक और सेवा विस्तार दिया था. इस मामले में इस साल उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई जिसने सेवा विस्तार को रद्द नहीं किया, लेकिन सरकार से मिश्रा को 17 नवंबर के बाद और सेवा विस्तार नहीं देने को कहा. हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि अध्यादेश लागू होने के बाद देखना होगा कि मिश्रा ईडी प्रमुख के रूप में काम करते रहेंगे या नहीं. 

एक बार में एक साल तक बढ़ाया जा सकता है कार्यकाल 
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जारी अध्यादेश में कहा गया है कि बशर्ते जिस अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में, खंड (ए) के तहत समिति की सिफारिश पर और लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, एक बार में एक साल तक बढ़ाया जा सकता है. इसमें कहा गया है कि बशर्ते कि प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई विस्तार प्रदान नहीं किया जाएगा.

दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन अध्यादेश भी लागू 
सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (डीएसपीई) (संशोधन) अध्यादेश, 2021 भी जारी किया है और यह भी ‘एक बार में’ लागू होता है. इस अध्यादेश में डीएसपीई कानून में प्रावधान जोड़ा गया है कि ‘‘बशर्ते जिस अवधि के लिए निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में, धारा 44 की उप-धारा (1) के तहत समिति की सिफारिश पर और लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.

कैसे और कौन करता है नियुक्ति ? 
इसमें कहा गया, ‘‘बशर्ते प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लेखित अवधि समेत कुल पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा.’’ सीबीआई के निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश के आधार पर होता है. सीबीआई और ईडी के प्रमुखों के लिए दो वर्ष के तय कार्यकाल का उद्देश्य उन्हें उनके द्वारा की गयी किसी जांच के लिए प्रतिकूल कार्रवाई की चिंता किये बिना सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त होकर कार्य करना सुनिश्चित करना है. वहीं ईडी निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की सदारत वाली समिति की सिफारिश पर केंद्र सरकार करती है. इसके सदस्यों में सतर्कता आयुक्त, गृह सचिव, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव और राजस्व सचिव शामिल हैं.

विपक्ष ने की सरकार की निंदा 
सरकार के इस कदम का टीएमसी सहित सभी विपक्षी दलों ने आलोचना की है. टीएमसी सांसद डोरेक ओ ब्राॅयन ने कहा है कि जब 29 नवंबर से संसद का शीत सत्र शुरू होने ही वाला था तो सरकार इतनी जल्दबाजी में अध्यायदेश लेकर क्यों आई. सरकार इस प्रस्ताव को संसद में भी रख सकती थी. डोरेक ने अध्यायदेश को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार अपने चहेते लोगों को सेवा विस्तार देने और सीबीआई और ईडी में बैठाने के लिए संसदीय परंपरा की अंदेखी कर रही है.  

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