नई दिल्लीः स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने मंगल को बताया कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है. उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि बहरहाल, कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई थी. महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई. उनसे पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है.

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अगस्त तक देश भर में लग जाएंगे 1573 ऑक्सीजन संयंत्र
राज्यसभा में कोविड-19 के संबंध में हुई चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि कोविड-19 महामारी से पहले देश में ऑक्सीजन का उत्पादन चार से पांच हजार मीट्रिक टन हुआ करता था जिसमें से मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन तो मात्र 1100 से 1200 मीट्रिक टन हुआ करता था. उन्होंने कहा कि सरकार को एकाएक बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए बहुत सारे प्रयास करने पड़े. महामारी का सामना करने के लिए 1573 ऑक्सीजन संयंत्र लगाने की योजना बनाई थी, जिनमें से 316 संयंत्र चालू हो गए हैं और शेष संयंत्र अगस्त माह के अंत लगा दिए जाएंगे.

स्वास्थ्य मंत्री को बनाया बलि का बकराः कांग्रेस 
इससे पहले कांग्रेस ने केंद्र पर कोविड-19 संबंधी आंकड़े छिपाने का इल्जाम लगाते हुए मंगल को राज्यसभा में दावा किया कि इस महामारी के प्रबंधन में सरकार पूरी तरह विफल रही है और स्वास्थ्य मंत्री को बलि का बकरा बना दिया गया. उच्च सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार दावा करती है कि कोविड-19 महामारी से करीब चार लाख लोगों की जान गई. देश में 6,38,565 गांव हैं. अगर एक एक गांव में इस महामारी ने पांच पांच लोगों की भी जान ली है तो कोविड से मौत का आंकड़ा 31,91,825 होता है.


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