देशभर में स्कूल खोले जाने की तैयारी; इन नियमों के तहत होगी फिजिकल कक्षाओं में पढ़ाई
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देशभर में स्कूल खोले जाने की तैयारी; इन नियमों के तहत होगी फिजिकल कक्षाओं में पढ़ाई

शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि स्कूलों में छात्रों के लिए फिजिकल कक्षाएं (Phisical Classes in School) शुरू की जा सकती है लेकिन इस दौरान छात्रों के भी सोशल डिस्टेंसिंग (Students Should follow Covid Guidlines) का पालन करना होगा.

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः कुछ विशेष नियमों का पालन करते हुए अब देश के सभी राज्यों में छात्रों के लिए स्कूल खोले जा सकते (School Can Reopens) हैं. गुरुवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Minister of Education) ने इस संबंध में देशभर के स्कूलों के लिए दिशानिर्देश जारी (Covid guidelines for schools) किए हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने औपचारिक तौर पर स्कूलों को फिर से खोलने के लिए दिशानिर्देश या एसओपी (SOP) तैयार किए हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि स्कूलों में छात्रों के लिए फिजिकल कक्षाएं शुरू की जा सकती है लेकिन इस दौरान छात्रों के भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना (school reopening guidelines will include precaution, timetable, assessment, emotional, and mental health) होगा.

9 राज्यों में स्कूल कॉलेज अभी भी बंद हैं
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि कि 11 राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं. वहीं 16 राज्यों ने आंशिक रूप से स्कूल खोले हैं और 9 राज्यों में स्कूल कॉलेज अभी भी बंद हैं. इन 9 राज्यों में देश की राजधानी दिल्ली भी शामिल है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई वैक्सीन के उपरांत अब केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में 98.85 प्रतिशत शिक्षकों और 99.07 फीसदी नॉन टीचिंग स्टाफ का टीकाकरण पूरा हो चुका है.

स्कूल खोलने पर इन नियमों का करना होगा पालन 
कक्षा में मौजूद छात्रों के बीच कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखनी होगी.
सभी छात्रों शिक्षकों एवं अन्य स्कूल कर्मियों को पूरे समय फेस मास्क पहने रहना होगा.
स्कूलों में कोई ऐसा आयोजन नहीं किया जाएगा जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करवाया जा सके.
मिड डे मील के वितरण के दौरान भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. साथ ही इस दौरान स्वच्छता का भी ध्यान रखना होगा.
क्लास रूम के अलावा शिक्षकों के स्टाफ रूम, असेंबली एरिया, कॉमन एरिया में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा.
एक ही समय पर स्कूल के सभी बच्चों को जमा नहीं किया जाएगा बल्कि इसके लिए फ्लैक्सिबल टाइमिंग तय की जाएगी.
जिन स्कूलों में हॉस्टल की सुविधा है वहां हॉस्टल में भी छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा.
छात्रों को स्कूल लाने ले जाने वाली बसों का नियमित रूप से सैनिटाइजेशन आवश्यक होगा.
आवश्यकता होने पर हॉस्टल में छात्रों के सोने के लिए नए सिरे से व्यवस्था की जानी चाहिए. यहां भी छात्रों के भी पर्याप्त सोशल डिस्टेंसिंग मौजूद होनी चाहिए.
स्कूलों में उचित सफाई और स्वच्छता सुविधाएं तय करनी होंगी. विभिन्न वर्गों के लिए लचीला टाइम टेबल निर्धारित करना होगा. 
माता-पिता की सहमति से घर से पढ़ने के इच्छुक छात्रों को ऐसा करने की अनुमति दी जा सकती है.

स्कूल बंद रहने से लाखों छात्रों का हो चुका है ड्रॉप आउट 
गौरतलब है कि प्रारंभिक कोविड-19 प्रतिबंधों के दौरान, छात्रों को कोविड-19 से बचाने के लिए एहतियाती उपाय के रूप में, पूरे भारत में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए थे. आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्कूल कॉलेज बंद होना शिक्षा की निरंतरता के मामले में सरकार के समक्ष एक नई चुनौती है. दरअसल बार-बार स्कूल बंद किए जाने की प्रक्रिया में लाखों छात्र ड्रॉप आउट हो चुके हैं. अब तक लाखों बच्चे स्कूली पढ़ाई से हाथ धो चुके हैं क्योंकि ऑनलाइन शिक्षा के लिए उचित बुनियादी सुविधाएं और संसाधन उनकी पहुंच के बाहर हैं.

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